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Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा की पूजा में जरूर करें ये 2 आरती, सुख-शांति का होगा वास, दूर होगा आर्थिक संकट!

Sharad Purnima 2024 Aarti: आज, 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करना विशेष महत्व रखता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. आज हम आपको दो विशेष आरतियों के बारे में बताएंगे, जिन्हें पूजा के शुभ मुहूर्त में करने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है. यह भी पढ़ें: Aaj ka Rashifal: आज शरद पूर्णिमा पर किसका चमकेगा भाग्य, किसको रहना है सावधान? पढ़ें बुधवार का राशिफल शुभ मुहूर्त शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आरती करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है. आज पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 42 मिनट से रात 12 बजकर 32 मिनट तक है. यहां पढ़ें भगवान विष्णु की आरती ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे। जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे। मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी। स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश हरे। तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति। किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे। दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश हरे। विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश हरे। श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ॐ जय जगदीश हरे। मां लक्ष्मी की आरती ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता। उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥ (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) None

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