इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख ने कहा कि सृजन (जनरेटिव) से जुड़े एआई में ग्राहकों की गहरी दिलचस्पी है और कंपनी में भी इनकी भारी मांग है। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें इन नए जमाने की टेक्नोलॉजी के कारण अपनी कंपनी में किसी छंटनी की आशंका नहीं है। पारेख ने 3.9 अरब डॉलर के जीएसटी टैक्स डिमांड मांग के बारे में कहा कि इंफोसिस ने पहले ही इस बारे में बता दिया है और शेयर बाजार को दी सूचना में भी खुलासे कर दिए हैं। सलिल ने कहा कि उनके पास फिलहाल शेयर करने के लिए कोई नई जानकारी नहीं है। ये पूछे जाने पर कि क्या कंपनी कई सालों से बकाया टैक्स डिमांड को देखते हुए इसके लिए प्रावधान करेगी, उन्होंने कहा, ''हमारे पास कोई नई सूचना नहीं है। स्थिति वैसी ही है, जैसी हमने कुछ दिन पहले बताई थी।'' उन्होंने कहा कि जनरेटिव एआई पर ग्राहकों की ओर से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और उन्होंने इसकी तुलना अतीत में डिजिटल और क्लाउड टेक्नोलॉजी के लिए देखी गई प्रवृत्ति से की। भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के सीईओ का मानना है कि समय के साथ जनरेटिव एआई को अपनाने की प्रक्रिया में बढ़ोतरी होगी क्योंकि बिजनेस को इससे होने वाले लाभ और कमर्शियल रिजल्ट मिलेंगे। उन्होंने कहा, ''इसलिए हमें लगता है कि समय बीतने के साथ इसमें तेजी आएगी, लेकिन हम इंतजार करेंगे और देखेंगे कि ये कैसे विकसित होता है। ये कुछ ऐसा है, जैसे कुछ साल पहले हमने डिजिटल या क्लाउड के साथ शुरुआत की थी।'' उन्होंने कहा कि अगर इनसे ग्राहकों को फायदा होगा तो ज्यादा से ज्यादा लोग इसे अपनाएंगे। बताते चलें कि दिग्गज आईटी कंपनी अन्य भारतीय और ग्लोबल कंपनियों की तरह एआई में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है। इस साल की शुरुआत में, इंफोसिस ने कहा था कि वे ग्राहकों के लिए 225 जनरेटिव एआई प्रोग्राम पर काम कर रही है और जनरेटिव एआई के फील्ड में 2.5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी गई है। पीटीआई इनपुट्स के साथ Latest Business News None
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