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आखिरकार नप गए खालिस्तानियों के हमदर्द जस्टिन ट्रूडो, 360 डिग्री घूमी सियासत; अचानक हो गया इस्तीफा

Justin Trudeau Resignation : खालिस्तानियों के लख्ते जिगर और भारत के धुर विरोधी और लंबे समय से अपनी नाकामी को लेकर चौतरफा घिरे कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आखिरकार प्रधानमंत्री पद से अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है. आपको बताते चलें कि एंटी इंडिया ट्रूडो अपनी लिबरल पार्टी के नेता के रूप में भी इस्तीफा देना पड़ा है. ट्रूडो सिर्फ विपक्ष की तरफ से ही नहीं,खुद अपनी पार्टी के भीतर तमाम विरोध का सामना कर रहे थे. उनकी पार्टी के लोग बिना किसी लागलपेट के सीधे और साफ शब्दों में उनका इस्तीफा मांग रहे थे. आखिरकार छोड़नी पड़ी कुर्सी जस्टिन ट्रूडो ने अपने इस प्रधानमंत्री काल में कनाडा का जितना नुकसान किया, उतना पहले कभी नहीं हुआ था. यूं तो ट्रूडो की पार्टी ही दशकों से खालिस्तानियों के दम पर राज कर रही थी. लेकिन जितनी अत्ति इस बार ट्रूडो ने की थी, उसकी भरपाई कब तक और कैसे होगी? यह बता पाने में फिलहाल उनकी पार्टी के नेता असमर्थ हैं. ये भी पढ़ें- पाकिस्तान में 'बादशाह' आ गये, शहबाज शरीफ ने लगा दी अंधी दौड़; फौरन लानत-मलामत करने लगे लोग इस बीच जस्टिन ट्रूडो नेअपने आखिरी संबोधन में कहा, 'एक नया प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी का नेता अगले चुनाव में अपने मूल्यों और आदर्शों को लेकर जाएगा. मैं आने वाले महीनों में इस प्रक्रिया को देखने के लिए बेहद उत्साहित हूं. संसद महीनों से ठप पड़ी है. ऐसा नहीं होना चाहिए.' ट्रूडो तो चले गए क्या अब भी आएगा अविश्वास प्रस्ताव? कनाडाई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संसद की कार्यवाही 27 जनवरी को फिर शुरू होनी थी. वहीं विपक्षी दल जल्द से जल्द सरकार गिराने के लिए लिबरल पार्टी की अगुवाई वाली ट्रूडो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर चुके थीे. फिलहाल ट्रूडो ने संसद का नया सत्र बुलाने का दांव खेला है. गेंद स्पीकर के पाले में है. लिहाजा इस्तीफे के बाद भी अगर संसद स्थगित रहती है तो प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव आगे खिसक सकता है. इस बीच कहा जा रहा है कि कुछ महीने बाद चुनाव हो सकते हैंं. भारत के साथ सबसे बुरे दौर में पहुंचे रिश्ते ट्रूडो की हालत को लेकर अब कहा जा रहा है कि जैसी करनी वैसी भरनी. ट्रूडो ने मनमानी चलाने के लिए भारत के विरोध में हर पैंतरा अपनाया. उन्हें लगता था कि खालिस्तानी उन्हें बचा लेंगे, लेकिन इस बार बात हद से ज्यादा बिगड़ गई थी. खालिस्तानियों का साथ निभाते हुए ट्रूडो ने देश के भारत से राजनयिक और कारोबारी रिश्ते खत्म कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी. चलाचली की बेला में ट्रूडो की विदाई का ऐलान हो चुका है. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत के खिलाफ चौबीसों घंटे साजिश रचने वाले खालिस्तानियों के तेवर भी कुछ ठंडे पड़े होंगे, इसलिए उम्मीद है कि अभी वो अगले कुछ दिन शांत ही रहेंगे. None

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