Sharad Pawar Vs Ajit Pawar: महाराष्ट्र चुनाव के बीच शरद पवार ने जहां भविष्य में चुनावी राजनीति से हटने के संकेत दिए वहीं ये भी कहा कि उनके गढ़ बारामती को अब नए नेतृत्व की जरूरत है. बारामती के शिरसुफल में एक बैठक को संबोधित करते हुए एनसीपी (शरद चंद्र पवार) प्रमुख ने कहा कि पवार ने कहा, ‘‘आपने मुझे एक या दो बार नहीं बल्कि चार बार मुख्यमंत्री बनाया है. आपने मुझे 1967 में निर्वाचित किया था, और मैंने महाराष्ट्र के लिए काम करने से पहले 25 साल तक यहां काम किया. उसके बाद मैंने सभी स्थानीय शक्तियां अजीत दादा को सौंप दीं. यहां के सभी निर्णय, स्थानीय निकायों, चीनी और दुग्ध निकायों के लिए कार्यक्रमों और चुनावों की योजना बनाने के लिए.’’ उन्होंने कहा कि अजित पवार ने 25 से 30 साल तक इस क्षेत्र में काम किया और उन्होंने जो काम किया, उसमें कोई संदेह नहीं है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘अब, भविष्य के लिए तैयारी करने का समय आ गया है. हमें ऐसे नेतृत्व को तैयार करने की जरूरत है जो अगले 30 वर्षों तक काम करे.’’ उन्होंने कहा कि हर किसी को अवसर मिलना चाहिए और उन्होंने कभी किसी को पीछे नहीं रखा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र को अगले तीन दशकों तक विकास के लिए एक नए नेतृत्व की जरूरत है. पवार पार्टी उम्मीदवार और अपने पोते युगेंद्र पवार के लिए प्रचार कर रहे थे, जो 20 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपने चाचा अजित को टक्कर देने के लिये तैयार हैं. युगेंद्र पवार अजित के छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं . परिवार की कठिन लड़ाई शरद पवार ने ये भी कहा कि इस साल के शुरू में बारामती लोकसभा सीट के लिए मुकाबला कठिन था, क्योंकि यह चुनाव परिवार के भीतर लड़ा गया था और अब पांच महीने के बाद क्षेत्र के लोग एक बार फिर से ऐसी ही स्थिति से रूबरू होंगे.’’आम चुनाव में बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने बारामती लोकसभा सीट पर अपनी भाभी और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हराया था. उन्होंने अजित पवार पर स्पष्ट रूप से निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई कहता रहेगा कि वह सब कुछ ले लेगा, तो लोग कुछ नहीं कहेंगे लेकिन ऐसा नहीं होता. लोग इसे अस्वीकार कर देंगे. पवार ने आगे कहा कि हालांकि वह हाल ही में वोट मांगने नहीं आए हैं, लेकिन बारामती के लोगों ने उन्हें कभी निराश नहीं किया है. उन्होंने आगे कहा कि यद्यपि हालिया लोकसभा चुनाव कठिन था क्योंकि यह परिवार के भीतर लड़ा गया था लेकिन लोगों ने उनकी बेटी सुप्रिया सुले के लिए शानदार जीत सुनिश्चित की और उन्हें विधानसभा चुनावों में भी लोगों के समर्थन का भरोसा है. (इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ) None
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