Canada Political Crisis: भारत से पंगा लेने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की साढ़ेसाती शुरू हो चुकी है! ट्रूडो का सिंहासन डोल गया है.. उनके अपने ही विरोध पर उतर आए और नौबत इस्तीफे तक पहुंच गई. जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जस्टिन ट्रूडो के बुरे दिन तब शुरू हुए जब उन्होंने भारत से रिश्ते तल्ख कर लिए. इसकी शुरुआत सितंबर 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद शुरू हुई है. जिसके लिए ट्रूडो ने भारत को जिम्मेदार ठहराया था. यह आरोप न केवल भारत-कनाडा संबंधों को खराब कर गया.. बल्कि ट्रूडो की घरेलू राजनीति पर भी गहरा असर डाल गया. लिबरल पार्टी में असंतोष बढ़ा जस्टिन ट्रूडो की किरकिर तब और हुई जब निज्जर की हत्या के मामले में भारत के खिलाफ सबूत पेश करने में कनाडा नाकाम रहा. इसके उलट आलोचकों का मानना है कि ट्रूडो ने खालिस्तानी वोट बैंक को साधने के लिए यह आरोप लगाया.. लेकिन यह रणनीति उल्टी पड़ गई. जस्टिन ट्रूडो की अपनी लिबरल पार्टी में स्थिति कमजोर हो गई. पिछले एक साल में पार्टी के कई सांसदों ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए. सीन केसी और केन मैकडॉनल्ड जैसे प्रमुख नेताओं ने सार्वजनिक रूप से उनके इस्तीफे की मांग की. आर्थिक संकट और गिरती लोकप्रियता डिप्टी प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा ट्रूडो के लिए बड़ा झटका था. फ्रीलैंड ने अपने इस्तीफे में ट्रूडो की 'महंगी राजनीतिक नौटंकियों' की आलोचना की. उनके इस्तीफे के बाद ट्रूडो ने मीडिया और सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली. जिससे पार्टी के भीतर असंतोष और बढ़ गया. कनाडा की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. महंगाई, आवास संकट और कार्बन टैक्स जैसे मुद्दों ने जनता में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ा दी. पियरे पोइलीवर के नेतृत्व में विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी ने इन मुद्दों पर ट्रूडो सरकार को घेरते हुए अपनी लोकप्रियता में इजाफा किया. पोल्स के मुताबिक कंजरवेटिव पार्टी को लिबरल पार्टी पर दोगुनी बढ़त मिली. पोइलीवर ने कार्बन टैक्स को खत्म करने और आवास संकट को हल करने का वादा किया, जो जनता को पसंद आया. कौन बनेगा अगला नेता? ट्रूडो के इस्तीफा देने के बाद कनाडा के नए प्रधानमंत्री की चर्चा जोरों पर है. लिबरल पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती एक ऐसा नेता खोजना होगा, जो जनता के बीच लोकप्रिय हो. अंतरिम नेता पार्टी के स्थायी नेतृत्व के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते. जिससे नए नेता के चुनाव में समय लग सकता है. डोमिनिक लेब्लांक, मेलानी जोली, फ्रांस्वा-फिलिप शैंपेन और मार्क कार्नी जैसे नाम संभावित दावेदारों के रूप में उभर रहे हैं. लेकिन नए नेता की अनुपस्थिति में पार्टी को आगामी चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है. भारत-कनाडा संबंधों में खटास भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ाने में ट्रूडो की भूमिका अहम रही है. भारत ने कनाडा पर खालिस्तानी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. ट्रूडो के नेतृत्व में कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों ने हिंदू मंदिरों पर हमले और अन्य हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया. जिससे भारत-कनाडा संबंध और खराब हो गए. ट्रूडो के आरोपों के बावजूद कनाडा कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया. भारत ने इसे राजनीतिक पैंतरा बताया.. जो ट्रूडो की घरेलू राजनीति को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया गया कदम था. क्या यह ट्रूडो के लिए अंत की शुरुआत है? ट्रूडो ने इस्तीफा तो दे दिया है लेकिन चर्चा यह भी है कि अब अपने राजनीति को बचा नहीं सकेंगे. पार्टी के भीतर असंतोष, गिरती लोकप्रियता और भारत के साथ खराब संबंधों ने उनकी स्थिति कमजोर कर दी है. विश्लेषकों का मानना है कि ट्रूडो की भारत-विरोधी रणनीति उनके लिए उलटी साबित हो रही है. कनाडा के लोग इसे घरेलू मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास मान रहे हैं. विपक्षी दलों की मजबूती और पार्टी के भीतर नेतृत्व संकट के बीच ट्रूडो का भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है. None
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