अमेरिकी चुनाव में निर्णायक घड़ी आ गई है, अब तय होने जा रहा है कि राष्ट्रपति कौन बनेगा- डोनाल्ड ट्रंप या फिर कमला हैरिस। दोनों ही उम्मीदवारों ने एक दूसरे को कड़ी टक्कर दी है, कई मुद्दों पर तीखी बहस देखने को मिली है, अब पता चलेगा कि जनता ने किस पर ज्यादा भरोसा जताया है। बड़ी बात यह है कि अमेरिका में किसी भी नेता की जीत हो, असर व्यापक होने वाला है, पूरी दुनिया पर इसका प्रभाव दिखेगा। भारत भी इससे अछूता नहीं रहने वाला, यहां की नीति, यहां की रणनीति भी अब अमेरिकी चुनाव को टकटकी लगाए देख रही है। अमेरिका में नवंबर में वोटिंग होती है, यहां भी भारत की तरह अलग-अलग राज्यों में मतदान किया जाता है। इस मतदान के जरिए हर राज्य इलेक्टर्स को चुनता है। ऐसा कर पूरे अमेरिका के 50 राज्यों से कुल 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं। लेकिन खेल वही बहुमत वाला है। जिस भी उम्मीदवार को 270 या उससे ज्यादा इलेक्टोरल कॉलेज का वोट मिलता है, उसका राष्ट्रपति बनना तय हो जाता है। अमेरिका को तीन तरह के राज्यों में बांटकर देखा जाता है। एक रहता है रेड स्टेट जिसे पारंपरिक रूप से रिपब्लिकन पार्टी का गढ़ माना जाता है। यह ऐसे राज्य होते हैं जहां पर 1980 के बाद से रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जीत रहे होते हैं। इसी तरह ब्लू स्टेट होते हैं जिन्हें डेमोक्रेट्स का गढ़ माना जाता है। लेकिन जब बात स्विंग स्टेट की होती है, यह वो राज्य हैं जहां हार-जीत काफी वोटों से तय होती है। ऐसे राज्यों में रिपब्लिकन या डेमोक्रेट्स कोई भी जीत सकते हैं। अमेरिका में जितने भी चुनाव हुए हैं, सभी प्रत्याशी अपने पारंपरिक गढ़ को छोड़ इन स्विंग स्टेट्स पर ही फोकस करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन स्विंग स्टेट्स पर जिनका कब्जा रहता है, राष्ट्रपति की कुर्सी भी उस पार्टी के पास चली जाती है। इस बार की चुनाव की बात करें तो कुल 7 स्विंग स्टेट सामने आई हैं- एरिज़ोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, नॉर्थ कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन। जॉर्जिया पारंपरिक रूप से रिपब्लिकन पार्टी का गढ़ रहा है, लेकिन 2020 में जो बाइडेन ने यहां से ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। 1992 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था जब जॉर्जिया में डेमोक्रेट्स की जीत हुई। पिछले कुछ सालों में जार्जिया का सियासी समीकरण बदला है, यहां की डेमोग्राफी में भी बदलाव देखने को मिला है। बढ़ती आबादी की वजह से भी कमला हैरिस को ऐसी उम्मीद है कि यह राज्य उनके खाते में जा सकता है। न्यू यॉर्क टाइम्स के पोल के मुताबिक जॉर्जिया में ट्रंप अभी एक प्रतिशत से आगे चल रहे हैं। पोल में उन्हें 49% सपोर्ट मिलता दिख रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस को 48% मत प्रतिशत मिल रहा है। नेवादा की बात करें तो यहां सिर्फ छह चुनावी वोट होते हैं, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इस राज्य की अहमियत काफी ज्यादा बढ़ जाती है। यहां पर 40 फ़ीसदी योग्य मतदाता लातिनी है, अश्वेत है या फिर एशिया अमेरिका से आते हैं। अभी तक का ट्रेंड बता रहा है कि कमला हैरिस को इन समुदायों के बीच में ज्यादा समर्थन मिलता दिख रहा है, लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स का पोल कहता है कि इस राज्य में भी डोनाल्ड ट्रंप को एक फीसदी की बढ़त हासिल है। मिशीगन की बात करें तो यह भी अमेरिका का एक स्विंग स्टेट है, ऐसा इसलिए क्योंकि 2016 में डेमोक्रेट्स के गढ़ में ट्रंप ने रिपब्लिकन पार्टी की ऐतिहासिक जीत सुनिश्चित कर दी थी। लेकिन मिशिगन में क्योंकि विविधता बहुत ज्यादा है, ऐसे में फिर कमला हैरिस यहां पर जबरदस्त प्रदर्शन करती हुई दिख रही है। लेकिन दूसरी ओर राज्य के जो अरब अमेरिकी लोग हैं, उनमें बाइडेन प्रशासन के प्रति थोड़ी नाराजगी भी है। न्यूयॉर्क टाइम्स के पोल के मुताबिक मिशिगन में दोनों डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस को 48% वोट मिलता हुआ दिख रहा है। पेंसिल्वेनिया भी अमेरिका का बड़ा स्विंग स्टेट है, यहां से 19 इलेक्टोरल कॉलेज निकलते हैं। एक जमाने में जरूर इसे डेमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ माना जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसी राज्य में कांटे की टक्कर देखने को मिली है। न्यूयॉर्क टाइम्स के पोल के अनुसार यहां पर मुकाबला काफी टाइट चल रहा है, डोनाल्ड ट्रंप को अभी के लिए एक प्रतिशत की बढ़त दिखाई दे रही है। एरिजोना की बात करें इस राज्य में 2020 में जो बाइडेन को काफी चिंता में डाल दिया था। उनकी जीत तो हुई लेकिन काफी कम वोटों से, इसी वजह से डोनाल्ड ट्रंप को यहां पर अपने लिए एक बड़ी उम्मीद दिखाई दे रही है। इसके ऊपर इसी राज्य में सबसे ज्यादा इल लीगल इमिग्रेशन का मुद्दा भी उठता रहता है, ऐसे में ट्रंप को पूरा भरोसा है कि एक बड़ी आबादी अवैध इमिग्रेशन के खिलाफ उनका समर्थन करेगी। अभी के लिए एरिजोना में लगातार डोनाल्ड ट्रंप की एक मजबूत लीड बनी हुई है, अभी कमला हैरिस के मुकाबले वे तीन मत प्रतिशत से आगे चल रहे हैं। उत्तरी केरोलिना की बात करें तो यह राज्य भी स्विंग स्टेट माना जाता है। वैसे तो लंबे समय से यह राज्य रिपब्लिकन पार्टी का गढ़ रहा है लेकिन 2008 के चुनाव में बराक ओबामा ने इसी गढ़ में बड़ी सेंधमारी करते हुए जीत दर्ज कर ली थी। अब इसके ऊपर क्योंकि उत्तरी केरोलिना का सियासी समीकरण लगातार बदल रहा है, यहां की जनसंख्या में भी वृद्धि देखने को मिली है, उस वजह से वोटिंग पैटर्न में भी कुछ बदलाव हुआ है। न्यूयॉर्क टाइम्स के पोल के मुताबिक उत्तरी केरोलिना में ट्रंप को एक मामूली सी बढ़त मिली हुई है। विस्कॉन्सिन की बात करें तो यह राज्य अभी के लिए कमला हैरिस की झोली में जाता हुआ दिख रहा है। ट्रंप ने प्रचार तो काफी किया है, रिपब्लिकन पार्टी का राष्ट्रीय सम्मेलन भी इसी राज्य में आयोजित किया गया था। लेकिन फिर भी कमला हैरिस ने यहां पर न सिर्फ अंतर को कम किया है बल्कि अपनी लीड भी कायम रखी है। इस चुनाव में वैसे तो कई मुद्दों पर गूंज रही, लेकिन 4 ऐसे रहे जो सही मायनों में निर्णायक भी कहे जाएंगे और नतीजों पर भी अपना सीधा असर रखने वाले हैं। जिन 4 मुद्दों पर इस बार का अमेरिकी चुनाव लड़ा गया, वो इस प्रकार हैं- अवैध इमिग्रेशन, गाजा युद्ध, गर्भपात, महंगाई। डोनाल्ड ट्रंप तो काफी कड़ा रुख रखते हैं। वे तो कह चुके हैं कि अगर फिर राष्ट्रपति बनते हैं तो अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी डीपोर्टेशन कार्रवाई देखने को मिलेगी, Alien Enemies Act का इस्तेमाल कर लोगों को बाहर निकाला जाएगा। कमला हैरिस बॉर्डर सुरक्षा की बात जरूर करती हैं, लेकिन ट्रंप जैसी कठोर नीतियों की वे पक्षधर नहीं हैं। वे तो अपनी हर रैली में कह चुकी हैं कि सेंट्रल अमेरिका से हो रहे माइग्रेशन के असल कारणों को समझना जरूरी है। डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर इजरायल का समर्थन किया है, यहां तक बोला है कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो 7 अक्टूबर वाला हमला भी कभी नहीं होता। इस साल जुलाई में जब ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मुलाकात की थी, उन्होंने कहा था कि वे अपनी जीत सुनिश्चित करें। कमला हैरिस भी युद्ध रोकने की बात करती हैं, वे गाजा में मर रहे बच्चों को इंसानियत के खिलाफ बता रही हैं। लेकिन एक रैली में वे भी कह चुकी हैं कि उनका समर्थन इजरायल के साथ है। गर्भपात को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का साफ रुख है, वे इसका समर्थन नहीं करते हैं। इसी वजह से कई रिपब्लिकन राज्यों में गर्भपात के खिलाफ सबसे सख्त कानून देखने को मिले हैं। ट्रंप तो यहां तक कहते हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान जो गर्भपात के खिलाफ फैसले हुए, वो उनकी देश के प्रति सबसे बड़ी सेवा रही। कमला हैरिस तो पिछले कई सालों से गर्भपात की समर्थक रही हैं, वे इसे महिला अधिकारों का बड़ा अंग मानती हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा है कि अगर वे राष्ट्रपति बन जाती हैं तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया जाएगा। ट्रंप तो महंगाई पर लगातार कहते आ रहे हैं कि वे टैक्स कट करेंगे, कॉरपोरेट टैक्स कम कर देंगे। दूसरी तरफ कमला हैरिस अमीर उद्योगपतियों पर और ज्यादा टैक्स लगाने की बात कर रही हैं। वे ये भी मानती हैं कि मार्केट में समानता आना जरूरी है, व्यापारिक नियमों का पालन सभी को करना जरूरी है। इस बार के अमेरिकी चुनाव में देखा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप का अरब अमेरिकियों के बीच में समर्थन बढ़ा है। 2020 में जो बाइडेन की जो जीत हुई थी, उसमें इन अरब अमेरिकियों का अहम योगदान था। लेकिन इस समय मिडिल ईस्ट में तनाव ज्यादा है, अमेरिका की भूमिका को लेकर विवाद चल रहा है, इसके ऊपर गाजा में लगातार मौतें हो रही हैं। अरब अमेरिकियों के एक वर्ग इसके लिए बाइडेन प्रशासन को जिम्मेदार देखता है। इसी वजह से ऐसा कहा जा रहा है कि ट्रंप पहली बार इस समुदाय के बीच में भी अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। मिशीगन, पेंसल्वेनिया और एरिजोना में तो ऐसा बदलाव बड़ा खेल दिखा सकता है। इसके ऊपर मिशीगन के मेयर Bill Bazzi ने क्योंकि सामने से आकर ट्रंप का समर्थन कर दिया है, माना जा रहा है कि इसका असर भी वोटिंग पर पड़ सकता है। अगर अरब अमेरिकियों का एक पारंपराकिक वोटबैंक डेमोक्रेट्स से छिटक गया तो यह एक बड़ा सियासी झटका साबित हो सकता है। None
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