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US Election: हिंदुओं के सही में हितैषी हैं ट्रंप या भारतवंशियों के वोट के लिए हो रहा सारा ड्रामा?

दुनिया की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका अगले कुछ दिनों में अपना राष्ट्रपति चुनने जा रही है। अमेरिकी जनता का एक चयन पूरी दुनिया पर अपना असर रखने वाला है। एक तरफ मैदान में खड़े हैं डोनाल्ड ट्रंप तो दूसरी तरफ डेमोक्रेट की ओर से दावेदारी ठोक रही हैं कमला हैरिस। वैसे तो इस अमेरिकी चुनाव में कई मुद्दे तूल पकड़ चुके हैं, बाते चाहे इमिग्रेशन की हो, गर्भपात की हो या फिर गन कल्चर की, लेकिन आखिरी चरण आते-आते बात यहां भी धर्म पर आ चुकी है। अमेरिका के हिंदू वोटरों को लुभाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक का सबसे बड़ा सियासी दांव चल दिया है। व्हाइट हाउस में दिवाली का पर्व मना एक बड़ा संदेश देने का काम तो जो बाइडेन ने भी किया, कमला हैरिस की त्योहार पर की गई पार्टी भी चर्चा का विषय रही। लेकिन ट्रंप ने दो कदम आगे बढ़कर पहली बार खुलकर हिंदुओं का जिक्र कर दिया। सिर्फ जिक्र नहीं किया बल्कि उस मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखी जिस पर कई बड़े संगठन, हिंदुस्तान की पार्टियां तक बोलने से कतरा जाती हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि मैं हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बर्बर हिंसा की कड़ी निंदा करता हूं, जिन पर बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हमला किया जा रहा है और लूटपाट की जा रही है, जो पूरी तरह से अराजकता की स्थिति में है। मेरे कार्यकाल में ऐसा कभी नहीं हुआ होता। कमला और जो बाइडेन ने दुनिया भर में और अमेरिका में हिंदुओं की अनदेखी की है। डोनाल्ड ट्रंप ने अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा की अब ट्रंप का यह बयान वायरल हो चुका है। घटना बांग्लादेश की, कनेक्शन उसका भारत से, लेकिन राजनीति उस पर हो रही अमेरिका में। यह बताने के लिए काफी है कि अमेरिकी चुनाव में इस बार भारतवंशी एक अहम भूमिका निभाने वाले हैं, वहां भी हिंदुओं का वोट काफी कुछ तय करने वाला है। ट्रंप की यह अपील मायने तो इसलिए भी रखती है क्योंकि अभी तक जितने भी राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं, ऐसा देखा गया है कि भारतवंशी डेमोक्रेट पार्टी के साथ जाते हैं, उनका भरोसा रीपब्लिकन पर कम रहता है। लेकिन अब लगता है कि इस चुनाव में आखिरी चरण आते ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपने गेयर बदल लिए हैं। उनकी तरफ से सीधे हिंदू कार्ड खेल बड़ा मैसेज देने की कोशिश हुई है। यह मैसेज अमेरिका के भारतवंशियों के लिए है, हिंदुस्तान में बैठे हिंदुओं के लिए है और बांग्लादेश में पीड़ित बन जीने को मजबूर बैठे हिंदू समाज के लिए भी है। जब कोई महाशक्ति किसी मुद्दे को उठाती है तो उसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनने को मिलती है। अब ट्रंप ने चुनावी मौसम में हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाकर इसे पूरी तरह ग्लोबल कर दिया है। यह शायद एक बड़े हिंदू वर्ग की वो इच्छा थी जो अब जाकर पूरी हो रही है। ॉ ऐसा नेरेटिव तो हिंदुओं की एक बड़ी आबादी में पहले से चल रहा है कि उनके मुद्दों को कोई नहीं उठाता है। यूएन भी सिर्फ तब आवाज बुलंद करता है जो मुस्लिम या किसी दूसरे धर्म के लोगों पर हमला होता है। लेकिन जिस तल्खी भरे अंदाज में ट्रंप ने हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है, यकीनन इसका अमेरिकी चुनाव पर भी गहरा असर पड़ सकता है। इसके ऊपर एक समझने वाली बात यह है कि ट्रंप ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रमुखता से जिक्र किया है। अब जानकार मानते हैं कि ट्रंप खुद को मोदी का दोस्त बताकर भी अमेरिकी हिंदुओं को ही साधने की कोशिश में लगे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका में ऐसे भारतवंशियों का एक बड़ा पूल तैयार हो चुका है जो मोदी समर्थक है, जो पीएम के यूएस दौरे के दौरान काफी उत्साहित रहता है। अब उसी ग्रुप को टारगेट करने के लिए ट्रंप इस तरह से बांग्लादेश के हिंदुओं का जिक्र कर रहे हैं। चिंता वे बांग्लादेशी हिंदुओं के प्रति जता रहे हैं, लेकिन वोट अमेरिका में बैठे हिंदुओं का चाहते हैं। C एक समझने वाली बात यह भी है कि ट्रंप का मुकाबला जिससे है, वे खुद एक भारतवंशी हैं। कमला हैरिस के साथ ट्रंप के मुकाबले भारतीय समुदाय का ज्यादा समर्थन है, कई सर्वे भी इस बात की पुष्टि करते हैं, ऐसे में किस तरह से उस वोटर को वहां से खींच अपने पाले में लाया जाए, इसकी जुगत तो ट्रंप को भी करनी ही थी। अब माना यही जा रहा है कि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का जिक्र कर ट्रंप भी एक तरह का ध्रुवीकरण अमेरिकी चुनाव में करना चाहते हैं। ट्रंप ने जिस टाइमिंग के साथ हिंदुओं का जिक्र किया है, ऐसा भी महसूस होने लगा है कि वे चाहते हैं कि एक गुस्सा इस समुदाय के अंदर घर कर जाए। वैसे भी उन्होंने उस पीड़ा को तो समझ ही लिया है कि हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का कोई जिक्र नहीं करता, इसके ऊपर अगर अब उन्हें गुस्से को भुना लिया जाए तो चुनाव में इसका भावनात्मक फायदा भी पहुंच सकता है। वैसे ट्रंप का हिंदू कार्ड खेलना इसलिए भी समझ आता है क्योंकि उन्होंने अपनी टीम में विवेक रामास्वामी को शामिल कर रखा है। यह सही बात है कि एक वक्त में रामास्वामी खुद ट्रंप के विरोधी थे, राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के सपने देख रहे थे। लेकिन इस समय चुनावी प्रचार में वे पूरी तरह ट्रंप के साथ खड़े हैं, उनके समर्थन में बातें कर रहे हैं। अब रामास्वामी तो खुद हिंदू समुदाय से आते हैं, भारतवंशियों के बीच में उनकी एक अपनी मजबूत उपस्थिति है। वैसे ट्रंप की टीम एक और हिंदू मौजूद हैं, उनका नाम है ऊषा। असल में ट्रंप ने उप राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में जेडी वैंस को चुना है जिनकी पत्नी भारत से आती हैं। ऐसे में यहां भी ट्रंप अपने नेरेटिव को अच्छे से मजबूत करने का काम कर सकते हैं। अमेरिका में अगर भारतवंशियों की बात करें तो उनकी आबादी 52 लाख के आसपास बैठती है। वहां भी ज्यादातर हिंदू समुदाय के ही लोग हैं। अगर यह वोटर एकमुश्त तरीके से किसी पाले में चले जाएं तो चुनावी नतीजे भी बदल सकते हैं। Indian-American Attitudes Survey (IAAS) के मुताबिक तो वर्तमान में तो 61 फीसदी भारतंवशी कमला का समर्थन करते हैं, वहीं ट्रंप के लिए यह आंकड़ा 31 प्रतिशत बैठता है। लेकिन समझने वाली बात यह है कि समय के साथ कमला हैरिस का वोटबैंक खिसक रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2020 में यह आंकड़ा 68 फीसदी था, लेकिन अब इसमें 7 फीसदी की बड़ी गिरावट हुई है। इसी वजह से माना जा रहा है कि ट्रंप हिंदू वोटरों को लेकर अमेरिका में इतने चिंतित हो चुके हैं। m None

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