अमेरिकी चुनाव में निर्णायक घड़ी आ गई है, कुछ घंटों का इंतजार है और नतीजे आने शुरू हो जाएंगे। कई सालों बाद अमेरिका की राजनीति में एक ऐसा चुनाव देखने को मिला है जहां पर मुकाबला ना सिर्फ काफी कड़ा रहा बल्कि कहना चाहिए कई मामलों में विवादित भी साबित हुआ। इस चुनाव में डेमोक्रेट्स की कमला हैरिस को रिपब्लिकन के डोनाल्ड ट्रंप से तगड़ी चुनौती मिली है। इस चुनाव में वैसे तो कई मुद्दों पर गूंज रही, लेकिन 4 ऐसे रहे जो सही मायनों में निर्णायक भी कहे जाएंगे और नतीजों पर भी अपना सीधा असर रखने वाले हैं। जिन 4 मुद्दों पर इस बार का अमेरिकी चुनाव लड़ा गया, वो इस प्रकार हैं- अमेरिका में अवैध इमिग्रेशन का मुद्दा काफी पुराना है। अमेरिका एक ऐसा देश है जहां पर कई लोग असाइल्म लेने के लिए आते हैं। कई लोग बॉर्डर पार कर अमेरिका में घुसने की कोशिश करते हैं। Pew Research बताती है कि अमेरिका की कुल आबादी में 3.3% इललीगल इमिग्रेंट्स की है। 2022 तक तो ऐसे लोगों की आबादी अमेरिका में 11 मिलियन तक पहुंच गई थी। बड़ी बात यह रही कि 2007 से 2019 तक यह आंकड़ा लगातार गिर रहा था, लेकिन 2021 और फिर 2022 में इसमें इजाफा देखा गया। कोर्ट में रोने लगीं इमरान की बेगम बुशरा बीबी? वर्तमान में कैलिफोर्निया,टेक्सस, फ्लोरिडा,न्यू यॉर्क, न्यू जर्सी, Illinois में सबसे ज्यादा अवैध इमिग्रेंट्स रहते हैं, 1980 से ही इन राज्यों की स्थिति ऐसी बनी हुई है। डोनाल्ड ट्रंप तो काफी कड़ा रुख रखते हैं। वे तो कह चुके हैं कि अगर फिर राष्ट्रपति बनते हैं तो अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी डीपोर्टेशन कार्रवाई देखने को मिलेगी, Alien Enemies Act का इस्तेमाल कर लोगों को बाहर निकाला जाएगा। इसके ऊपर जिन लोगों के पास पर्याप्त डॉक्यूमेंट्स नहीं है, ट्रंप किसी भी कीमत पर उन्हें अमेरिका की नागरिकता नहीं देना चाहते हैं। वे तो सीधे-सीधे ऐसे लोगों की आबादी कम करने की बात कर रहे हैं, उन्हें बाहर निकालने की पैरवी कर रहे हैं। कमला हैरिस बॉर्डर सुरक्षा की बात जरूर करती हैं, लेकिन ट्रंप जैसी कठोर नीतियों की वे पक्षधर नहीं हैं। वे तो अपनी हर रैली में कह चुकी हैं कि सेंट्रल अमेरिका से हो रहे माइग्रेशन के असल कारणों को समझना जरूरी है। वे तो यहां तक कहती हैं कि अगर कोई बिना दस्तावेज के अमेरिका में बतौर बच्चा दाखिल हुआ है, उसके प्रति नरमी बरती जाएगी, उन्हें नागरिकता देने का इंतजाम किया जाएगा। वे इस मुद्दे को लेकर थोड़ी भावुक भी दिखाई देती हैं और सख्त नियमों की वजह से अलग हो रहे परिवार वाले मुद्दे को उठाती रहती हैं। कमला यहां तक मानती हैं कि बिना दस्तावेज वाले हर आदमी को देश से बाहर भेजना जरूरी नहीं, जो पब्लिक और समाज के लिए खतरा हों, उन पर एक्शन होना चाहिए। इजरायल और हमास के बीच में जारी युद्ध को एक साल से ज्यादा हो चुका है, 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत तो अकेले गाजा में देखने को मिली है। इस मुद्दे पर अमेरिकी चुनाव में भी जमकर राजनीति देखने को मिली है। पूरी दुनिया इस समय अमेरिका के रुख को लेकर बंट चुकी है। इस्लामिक देश मान रहे हैं कि अमेरिका इस समय इजरायल का बचाव कर रहा है, वही दूसरा वर्ग मान रहा है कि अमेरिका युद्ध रुकवाने में पूरी तरह विफल साबित हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर इजरायल का समर्थन किया है, यहां तक बोला है कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो 7 अक्टूबर वाला हमला भी कभी नहीं होता। इस साल जुलाई में जब ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मुलाकात की थी, उन्होंने कहा था कि वे अपनी जीत सुनिश्चित करें। अब ट्रंप भी युद्ध रुकने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन उनकी तरफ से स्पष्ट रूप से इजरायल का साथ दिया गया है। कमला हैरिस भी युद्ध रोकने की बात करती हैं, वे गाजा में मर रहे बच्चों को इंसानियत के खिलाफ बता रही हैं। लेकिन एक रैली में वे भी कह चुकी हैं कि उनका समर्थन इजरायल के साथ है। युद्ध रोकने की बात उनकी तरफ से भी हुई है, लेकिन कैसे, इसको लेकर कोई जवाब नहीं। गर्भपात को लेकर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में एक बड़ा फैसला सुनाया था। उस फैसले के बाद सभी राज्यों को ताकत मिल गई कि वे अपने अनुसार गर्भपात के खिलाफ कानून बना सकते हैं, उसे सख्त भी कर सकते हैं। इसके बाद से ही कई ऐसे राज्य सामने आए जहां पर पूरी तरह गर्भपात पर बैन लग गया, कई राज्यों में तो रेप होने पर भी महिला को गर्भपात की इजाजत नहीं मिली। इस बार यही मुद्दा अब चुनाव में छाया हुआ है। गर्भपात को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का साफ रुख है, वे इसका समर्थन नहीं करते हैं। इसी वजह से कई रिपब्लिकन राज्यों में गर्भपात के खिलाफ सबसे सख्त कानून देखने को मिले हैं। ट्रंप तो यहां तक कहते हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान जो गर्भपात के खिलाफ फैसले हुए, वो उनकी देश के प्रति सबसे बड़ी सेवा रही। जानकार मानते हैं कि अगर ट्रंप फिर राष्ट्रपति बनते हैं, गर्भपात को लेकर और सख्त कानून आ सकते हैं। कमला हैरिस तो पिछले कई सालों से गर्भपात की समर्थक रही हैं, वे इसे महिला अधिकारों का बड़ा अंग मानती हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा है कि अगर वे राष्ट्रपति बन जाती हैं तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया जाएगा। वे नेरेटिव सेट कर रही हैं कि ट्रंप तो पूरे देश में गर्भपात पर बैन लगाना चाहते हैं। इस समय डेमोक्रेड्स के वोटर्स के बीच में गर्भपात का मुद्दा भी काफी बड़ा बना हुआ है, उसी वजह से कमला इसे लगातार उठा रही हैं। अमेरिका में इस समय महंगाई का मुद्दा असल से ज्यादा नेरेटिव के आधार पर बना हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ महीनों से लगातार महंगाई कम हो रही है, लेकिन फिर भी अमेरिकी वोटर परेशान है, वो अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त नहीं हो पा रहा है। यह नेरेटिव ही दोनों कमला हैरिस और ट्रंप के लिए मायने रखता है क्योंकि इसके आधार पर ही राजनीति की जा रही है। ट्रंप तो महंगाई पर लगातार कहते आ रहे हैं कि वे टैक्स कट करेंगे, कॉरपोरेट टैक्स कम कर देंगे। दूसरी तरफ कमला हैरिस अमीर उद्योगपतियों पर और ज्यादा टैक्स लगाने की बात कर रही हैं। वे ये भी मानती हैं कि मार्केट में समानता आना जरूरी है, व्यापारिक नियमों का पालन सभी को करना जरूरी है। c भ ु ् None
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