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US Elections: डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस, किसके जीतने से भारत को होगा फायदा? अमेरिकी चुनाव पर भारतीयों की भी है नजर

US Elections: अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। एक तरफ जहां रिपब्लिकन पार्टी से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मैदान में हैं, तो दूसरी ओर डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं। कमला हैरिस ने ट्रंप की तबीयत को लेकर सवाल उठाए है, दिलचस्प यह है कि यही ट्रंप एक समय जो बाइडेन के स्वास्थ्य का मुद्दा उठाते थे। कमला हैरिस को लेकर खास बात यह है कि वह भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। दूसरी ओर भारत को लेकर ट्रंप का रुख भी काफी सकारात्मक रहा है। ऐसे में भारतीयों की भी इस चुनाव पर नजर हैं, क्योंकि इस चुनाव के नतीजे भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक रिश्तों का फ्यूचर तय कर सकते हैं। आज की बड़ी खबरें कमला हैरिस भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। उनकी मां तमिलनाडु और पिता जमैका से थे। भले ही वह भारतीय मूल की हैं लेकिन उनके कई हालिया बयानों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि वे वास्तव में भारत समर्थक है। कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के दौरान कमला हैरिस का कहना था कि हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। अगर स्थिति की मांग हो तो हस्तक्षेप करने की जरूरत है। उन्होंने इशारों-इशारों में यहां तक कह दिया कि अमेरिका, भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने पर विचार कर सकता है। अमेरिका के लिए अहम हैं भारतीय मूल के वोटर्स उपराष्ट्रपति रहते हुए कमला हैरिस भारत के मुद्दे पर कमोबेश चुप रहीं थी। वह एक मौके पर पीएम मोदी से मिल चुकी हैं लेकिन दोनों के बीच कोई तालमेल या मेलजोल नहीं था। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि जब भारत और भारतीय मामलों की बात आती है तो वह हमेशा ही बाइडेन की नीति पर चलती नजर आती है। ट्रंप की बात करें तो उनके कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका में मजबूती देखने को मिली थी। हालांकि ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए कोई विशेष कदम नहीं उठाया है, लेकिन उन्होंने बार-बार कहा है कि अगर वह दोबारा चुने जाते हैं तो वह इसे तुरंत रोक देंगे। यदि ऐसा हुआ, तो यह भारत के लिए सकारात्मक होगा। इसकी रूस के बहुत करीब होने के कारण अन्य पश्चिमी देशों द्वारा आलोचना की गई है। ट्रंप का रुक चीन को लेकर हमेशा ही आक्रामक रहा है। रणनीतिक सलाहकार फर्म एशिया ग्रुप की एक रिपोर्ट में बताया है कि ट्रंप के संभावित दूसरे कार्यकाल से चीन पर अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखला निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से “अधिक आक्रामक” नीतियों को बढ़ावा मिलेगा। यह बदलाव अधिक अमेरिकी कंपनियों को विकल्प के रूप में भारत का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। None

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