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South Korea: दक्षिण कोरिया में गहराया सियासी संकट.. राष्ट्रपति ने आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की

South Korea Martial Law: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार को आपातकालीन मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की. उन्होंने विपक्षी दलों पर देश की शासन व्यवस्था को कमजोर करने, उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति रखने और संवैधानिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया. यून ने यह घोषणा एक टेलीविजन संबोधन में की. इस ऐलान ने पूरे देश को हैरत में डाल दिया. तनावपूर्ण स्थिति के बीच विपक्ष के सांसदों ने संसद भवन का घेराव करने की कोशिश की, सुरक्षाबलों ने उन्हें हिरासत में लिया है. संसद भवन में घुसे सैनिक, छत पर उतरे हेलिकॉप्टर दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में संसद भवन के अंदर और बाहर भारी तनाव का माहौल है. जब विपक्षी सांसद संसद भवन में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे, तब सेना ने उन्हें हिरासत में ले लिया. पूरी तरह हथियारों से लैस विशेष सैन्य बल ने नेशनल असेंबली (संसद) में घुसकर चारों ओर बैरिकेड्स लगा दिए. वहीं, हेलिकॉप्टर भी संसद भवन की छत पर उतरे हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है. ‘संविधान की रक्षा’ के नाम पर फैसला राष्ट्रपति यून ने कहा, "उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों से दक्षिण कोरिया की आजादी और संविधान की रक्षा करने और देशद्रोही तत्वों को खत्म करने के लिए, मैं आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा करता हूं." उन्होंने इसे देश की संवैधानिक व्यवस्था और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जरूरी कदम बताया. बजट विवाद ने बढ़ाया तनाव यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब राष्ट्रपति यून की पीपल पावर पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच अगले साल के बजट को लेकर गहरा विवाद चल रहा है. विपक्षी सांसदों ने हाल ही में एक कम बजट प्रस्ताव पास किया, जिसे राष्ट्रपति ने महत्वपूर्ण निधियों में कटौती के लिए दोषी ठहराया. उन्होंने कहा, "हमारी नेशनल असेंबली अपराधियों का अड्डा बन गई है. यह विधायी तानाशाही का गढ़ बन चुकी है, जो न्यायिक और प्रशासनिक प्रणाली को पंगु बनाने की कोशिश कर रही है." सार्वजनिक सुरक्षा पर भी उठाए सवाल राष्ट्रपति यून ने विपक्ष पर सार्वजनिक सुरक्षा के लिए आवश्यक बजट में कटौती का आरोप लगाया. उन्होंने चेतावनी दी कि इससे देश "ड्रग्स का अड्डा" और "सार्वजनिक सुरक्षा की अराजकता" की स्थिति में पहुंच गया है. हालांकि मार्शल लॉ के तहत लागू की जाने वाली विशिष्ट कार्रवाइयों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. राष्ट्रपति यून ने केवल इतना कहा कि "देश को सामान्य स्थिति में लाने के लिए राष्ट्रविरोधी ताकतों को समाप्त करना जरूरी है." विपक्ष ने की तीखी आलोचना विपक्ष ने इस कदम की कड़ी निंदा की. विपक्षी नेता ली जे-म्युंग ने एक ऑनलाइन संबोधन में कहा कि अब देश में टैंक, हथियारबंद सैनिक और अराजकता का राज होगा. दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी. उन्होंने नागरिकों से नेशनल असेंबली के पास इकट्ठा होने की अपील की. दक्षिण कोरिया की प्रमुख समाचार एजेंसी योन्हाप ने बताया कि सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख हान डोंग-हून ने इस घोषणा का विरोध करते हुए इसे "गलत" करार दिया. उन्होंने जनता के समर्थन से इसे रोकने की बात कही. यह बयान राष्ट्रपति यून की अपनी पार्टी के भीतर मतभेदों को उजागर करता है. तनाव अपने चरम पर राष्ट्रपति यून और विपक्ष के बीच तनाव इस साल तब और बढ़ गया जब यून ने 1987 के बाद पहली बार एक नए संसदीय सत्र के उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लिया. राष्ट्रपति कार्यालय ने इसे संसद द्वारा चलाए जा रहे जांच और महाभियोग की धमकियों का परिणाम बताया. विपक्ष ने उन पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने और सैन्य पदों पर अपने वफादारों को नियुक्त करने का आरोप लगाया. गहराता राजनीतिक ध्रुवीकरण मार्शल लॉ की घोषणा ने दक्षिण कोरिया के राजनीतिक परिदृश्य को और ध्रुवीकृत कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस गहराते विभाजन से लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है. राष्ट्रपति नेतृत्व पर शोध करने वाले प्रोफेसर चोई जिन ने इसे "राजनीतिक युद्ध" करार दिया, जिससे किसी को भी लाभ नहीं होगा. वहीं, चोसुन यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर जी ब्योंग-क्यून ने कहा कि यून की जिद्दी नेतृत्व शैली ने ध्रुवीकरण और जन असंतोष को और बढ़ा दिया है. (एजेंसी इनपुट के साथ) None

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