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कॉन्सर्ट्स की चकाचौंध के बीच रोशनी को तरसते एथलीट; अंधेरे में अभ्यास करने को मजबूर, 3 साल में हुई केवल 1 राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिता

26 अक्टूबर 2024 की शाम दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में रौनक जमी हुई थी। फैंस से भरा हुआ स्टेडियम, स्टेज पर गाते हुए दिलजीत दोसांझ और गाने की धुनों पर झूमते उनके चाहने वाले हैं। स्टेज पर एक नहीं कई लाइट्स लगाई गईं थी। छोटी-बड़ी, अलग-अलग रंगों की लाइट्स से स्टेज चमक रहा था। स्टेज की चकाचौंध और दिलजीत के लिए फैंस की दीवानगी अगले कई दिन तक सोशल मीडिया और खबरों में छाई रही। यह तस्वीर का एक पहलू है, दूसरा पहलू यह है कि भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देख रहे खिलाड़ी रोशनी के लिए तरस रहे हैं। वे अंधेरे में अभ्यास करने को मजबूर हैं। दिसंबर की ठंड वैसे ही खिलाड़ियों के लिए बड़ी चुनौती है ऐसे में अंधेरा उनकी मुश्किलें और बढ़ा देता है। 20 दिसंबर की शाम छह बजे भी स्टेडियम में एथलीट्स में अंधेरे में ही ट्रेनिंग कर रहे थे। पूरे स्टेडियम में एक भी फ्लड लाइट जली नहीं हुई थी। अंधेरा इतना था कि ट्रैक को देख पाना भी आसान नहीं था। एथलीट्स के लिए हल्की रोशनी का एकमात्र स्रोत था स्टेडियम में मौजूद सरकारी दफ्तरों की जलती लाइट्स। इसी रोशनी में खिलाड़ी अभ्यास कर रहे थे। लगभग 45 मिनट इन्हीं कंडीशन में अभ्यास करने के बाद एथलीट्स के लौटने का सिलसिला शुरू हुआ। जिस दौरान मैदान के अंदर एथलीट्स बिना किसी फ्लड लाइट के ही अभ्यास कर रहे थे, बाहर प्रैक्टिस ग्राउंड पर फ्लड लाइट्स जली हुई थीं। यह मैदान अंदर के मुकाबले न सिर्फ छोटा है बल्कि यहां के ट्रैक की हालत भी खस्ता है। ट्रैक जिस जगह से शुरू होता है वहीं से सतह उखड़ी हुई नजर आ रही थी। यानी यहां अभ्यास करना भी खिलाड़ियों के लिए अच्छा विकल्प नहीं है। इस स्टेडियम में सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भी कई एथलीट्स अभ्यास करते हैं। जनसत्ता ने इसे लेकर दिल्ली के चीफ एथलेटिक्स कोच दिनेश रावत से बात की। उन्होंने बताया कि यह हर रोज की स्थिति है। शाम के समय एथलीट्स को इसी तरह अभ्यास करना पड़ता है हालांकि अगर दो लाइट्स ही जला दी जाएं तो अभ्यास के लिए जरूरी रोशनी हो सकती है। वह इसे लेकर लिखित शिकायत भी करने के बारे में विचार कर रहे हैं। दिनेश ने यह जानकारी भी दी कि स्टेडियम में खिलाड़ियों को रात साढ़े सात से 8 बजे तक अभ्यास करने की अनुमति है। हालांकि 8 बजे तक उन्हें रोशनी नहीं मिलती। यानी खिलाड़ियों को अभ्यास की अनुमति तो है लेकिन सुविधाएं नहीं हैं। जवाहर लाल नेहरू वही स्टेडियम है जहां पैरा एथलीट्स पैरालंपिक्स से पहले ट्रेनिंग कर रहे थे। इसी जगह अगले साल सितंबर में वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप होने वाली है। दुनिया भर के पैरा एथलीट इसी मैदान पर दौड़ते नजर आएंगे। सूत्रों के मुताबिक प्रतियोगिता से पहले पूरा ट्रैक पूरी तरह बदला जाएगा जिसमें करोड़ों का खर्चा होना है। विश्व स्तर पर भारत अपना दमखम दिखाने का दावा कर रहा है लेकिन देश के भावी एथलीट्स के लिए फ्लड लाइट जलाना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है। केंद्रीय सरकार के अधीन आने वाले जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के डायरेक्टर और एडमिनिस्ट्रेटर संदीप राणा से बात करने की कोशिश की। हालांकि न तो कॉल उठाई न ही मैसेज पर कोई जवाब आया। जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में पिछले तीन साल में राष्ट्रीय स्तर की केवल एक ही प्रतियोगिता का आयोजन हुआ है। इस साल 10 से 12 अक्टूबर के बीच 35वीं नॉर्थ जोन एथलेटिक्स चैंपियनशिप का अयोजन इस स्टेडियम में हुआ था। इससे पहले 2021 में 27 सितंबर से 24 अक्टूबर के बीच तीन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। इसमें 27 से 29 सितंबर के बीच हुई नेशनल अंडर-23 चैंपियनशिप प्रतिभागियों के लिहाज से सबसे बड़ी थी। None

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