NATIONAL

Haryana Election Result: इन 7 सीटों पर हार पर है पार्टी को शक, चुनाव आयोग के पास पहुंची कांग्रेस

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहे। 8 अक्टूबर को नतीजे सामने आने के बाद हरियाणा में कांग्रेस को 37 और बीजेपी को 48 सीटें मिलीं। वहीं, परिणाम से पहले तमाम एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिखाया गया था। चुनाव परिणाम मनमुताबिक नहीं आने पर कांग्रेस ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर कई सवाल उठाए हैं। पार्टी इस मामले में चुनाव आयोग के पास पहुंची। बुधवार को चुनाव आयोग को सौंपे ज्ञापन में कांग्रेस ने कहा कि हरियाणा में उसके उम्मीदवारों और उनके मतदान एजेंटों ने कई सीटों पर ईवीएम मशीनों में विसंगति पाई है। पार्टी ने उदाहरण के तौर पर निर्वाचन क्षेत्रों की एक सूची भी पेश की है। कांग्रेस ने सात सीटों को खास तौर पर दर्ज कराया- करनाल, रेवाड़ी, पानीपत शहर, होडल, कालका और नारनौल। पार्टी इन सीटों पर 610 वोट से लेकर 35,672 वोटों के अंतर से हारी। इनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी सीटें भाजपा के खाते में गईं। नारनौल पहली सीट थी जिसका नाम कांग्रेस ने लिया और कहा कि यहां अनियमितताएं हो सकती हैं। वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को मतगणना के अंत में इस बात का उल्लेख किया। महेंद्रगढ़ स्थित नारनौल सीट पर भाजपा के ओम प्रकाश यादव ने कांग्रेस के राव नरेंद्र सिंह को 17,171 वोटों से हराया। 2014 और 2019 में भी नारनौल से जीतने वाले ओम प्रकाश ने पिछली बार से अपना वोट शेयर बढ़ाया है। कांग्रेस ने आखिरी बार 1991 में नारनौल से जीत हासिल की थी। इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार नरेंद्र सिंह भी नारनौल से पिछली दो बार हार गए थे और तीसरे स्थान पर रहे थे। दोनों बार उम्मीदवारों की लाइन-अप एक ही थी: 2019 में विजेता ओम प्रकाश (बीजेपी), उसके बाद कमलेश सैनी (जननायक जनता पार्टी) और नरेंद्र सिंह (कांग्रेस); और 2014 में विजेता ओम प्रकाश (बीजेपी) के बाद सैनी (आईएनएलडी) और नरेंद्र सिंह (कांग्रेस) थे। EVM Tampering: हरियाणा के नतीजों के बाद EVM की जिस बैटरी को लेकर कांग्रेस कर रही इतना बवाल, आखिर वो कैसे करती है काम करनाल- इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व 2014 से लेकर अब तक भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर करते रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में खट्टर ने इस सीट पर 45,188 वोटों से जीत दर्ज की थी। खट्टर के केंद्र में चले जाने के बाद जून में इस सीट पर हुए उपचुनाव में मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस के तरलोचन सिंह को 41,540 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सैनी को लाडवा से टिकट दिया और खट्टर के करीबी जगमोहन आनंद को करनाल से टिकट दिया। आनंद ने कांग्रेस की सुमिता विर्क को 33,652 मतों से हराकर जीत हासिल की। कांग्रेस ने आखिरी बार करनाल सीट 2009 में जीती थी। डबवाली में बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिला, जिसमें देवीलाल परिवार के दो सदस्य शामिल थे। अंत में, देवीलाल के पोते आदित्य देवीलाल ने इनेलो के टिकट पर जीत हासिल की। उन्होंने मौजूदा कांग्रेस विधायक अमित सिहाग को 610 वोटों से हराया। जेजेपी के दिग्विजय चौटाला भी इस दौड़ में थे, जो पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के भाई हैं , वे तीसरे स्थान पर रहे लेकिन उन्हें 35,261 वोट मिले। होडल – हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार भूपिंदर सिंह हुड्डा के करीबी उदय भान यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। उदयभान भाजपा के हरिंदर सिंह से 2,595 वोटों से हार गए। 2014 में उदयभान इस सीट से इनेलो के जगदीश नायर से 11,680 वोटों से जीते थे लेकिन 2019 में वह नायर से 3,387 वोटों से हार गए थे। 2019 में नायर भाजपा के उम्मीदवार थे। Assembly Election Result: ‘अगर गठबंधन किया होता तो नतीजे…’, हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद INDIA अलायंस ने ही कांग्रेस पर साधा निशाना कालका में भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व कांग्रेस नेता विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा को पार्टी में शामिल होने के तीन दिन बाद ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। हालांकि, कालका से भाजपा की पूर्व विधायक लतिका शर्मा ने शुरू में दौड़ में बने रहने और शक्ति शर्मा के लिए मुश्किलें खड़ी करने की धमकी दी थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें मैदान से बाहर होने के लिए मना लिया। शक्ति शर्मा ने आखिरकार कांग्रेस के प्रदीप चौधरी को 10,883 वोटों से हराया। 2019 में चौधरी ने भाजपा की लतिका शर्मा को 5,931 वोटों से हराकर सीट जीती थी। पानीपत शहर – इस सीट पर भाजपा के मौजूदा विधायक प्रमोद कुमार विज ने 35,672 मतों से कांग्रेस के वरिंदर कुमार शाह को हराया। विज ने 2019 के मुकाबले अपनी जीत के अंतर में मामूली गिरावट दर्ज की, जब उन्होंने कांग्रेस के संजय अग्रवाल को 39,000 से अधिक मतों से हराया था। इस सीट पर भाजपा के बागी पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी भी थे, जिन्होंने निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा और 15,546 वोट हासिल किए लेकिन कांग्रेस के शाह फिर भी जीत नहीं पाए। कांग्रेस ने यह सीट आखिरी बार 2009 में जीती थी, जब उसके उम्मीदवार बलबीर पाल शाह ने भाजपा के संजय भाटिया को 12,159 मतों से हराया था। रेवाड़ी – इस सीट को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के ओबीसी विभाग के अध्यक्ष कैप्टन अजय सिंह यादव का गढ़ माना जाता था लेकिन 2019 में उनके बेटे चिरंजीव राव, जो आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद की बेटी के पति हैं, रेवाड़ी से मात्र 1,317 वोटों से जीत गए और उन्होंने तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार सुनील कुमार को हराया। इस बार भाजपा के लक्ष्मण सिंह यादव ने चिरंजीव को 28,769 मतों से हराया। मौजूदा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने रेवाड़ी सीट पर सिर्फ एक बार 2014 में जीत हासिल की थी, जब रणधीर सिंह कापड़ीवास ने इनेलो के सतीश यादव को 45,466 मतों से हराया था। None

About Us

Get our latest news in multiple languages with just one click. We are using highly optimized algorithms to bring you hoax-free news from various sources in India.