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दिल्ली से OUT, पंजाब में IN… मालीवाल मामले में फंसे बिभव कुमार की री एंट्री की प्लानिंग में लगे केजरीवाल?

पंजाब की भगवंत मान सरकार में हाल ही में कैबिनेट में फेरबदल हुआ था। इसके बाद आरोप लग रहे हैं कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप मुखिया अरविंद केजरीवाल राज्य प्रशासन के कामकाज में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं और सीएम भगवंत मान को दरकिनार कर रहे हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में सीएम के चीफ एडवाइजर की नियुक्ति की शर्तों को मंजूरी देने के कैबिनेट के कदम ने भी अटकलों को हवा दी कि केजरीवाल चाहते थे कि उनके करीबी बिभव कुमार को इस पद पर नियुक्त किया जाए। इतना ही नहीं वह यह भी चाहते थे कि वह उनके और पंजाब सरकार के बीच में संपर्क सूत्र के तौर पर काम करें। बिभव कुमार पर आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट का आरोप है और वह जमानत पर बाहर है। सीएमओ की तरफ से कहा गया कि इस तरह का कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि केजरीवाल ने राज्य में लोकसभा इलेक्शन में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद ड्राइवर की सीट संभाल ली थी। पार्टी ने राज्य में 13 सीटों में से महज तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। पंजाब सरकार में फेरबदल लोकसभा इलेक्शन के टाइम से ही लंबित पड़ा था, लेकिन केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आखिरकार यह पूरा हुआ। बिभव कुमार की नियुक्ति के बारे में अटकलों को हवा उस समय मिली जब केजरीवाल ने दिल्ली में पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों से आमने-सामने मुलाकात की। इतना ही नहीं उनके प्रदर्शन की समीक्षा भी की और अगले साल के टारगेट भी दिए। सरकार के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, आप चीफ ने मंत्रियों से कहा कि वह खुद काम की निगरानी करेंगे। उस दिन सीएमओ के दो और अधिकारियों बलतेज सिंह पन्नू और मनप्रीत कौर को हटा दिया गया। बुधवार को अनुराग वर्मा की जगह केएपी सिन्हा को मुख्य सचिव नियुक्त किया गया। पंजाब में पार्टी के मामलों में केजरीवाल की ज्यादा रुचि लेने की अटकलें बढ़ रही हैं। ऐसा इस वजह से है क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों से सरकार में लगातार बदलाव हो रहे हैं। सबसे पहले 23 सितंबर को कैबिनेट में फेरबदल हुआ। चार मंत्रियों को हटा दिया गया और पांच नए चेहरों को शामिल किया गया। हटाए गए सभी चार या तो विवादों में थे या सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे थे। लेकिन सबसे हैरान करने वाला था सीएम के ओएसडी ओंकार सिंह को हटाना। वह मान के दोस्त हैं और उनके विधानसभा क्षेत्र धुरी को संभाल रहे थे। इस महीने की शुरुआत में नवनीत वाधवा को अपना इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। AAP सूत्रों ने इसे दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के जेल से रिहा होने के बाद ऑपरेशन क्लीनअप करार दिया था। ‘राम से तुलना करने वाले एक महल छोड़ दूसरे में रहने…’, केजरीवाल के नए आवास को लेकर स्वाति मालीवाल का हमला आम आदमी पार्टी को टारगेट करते हुए विपक्ष के नेता प्रताप बाजवा ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब की सरकार पर कब्जा करना साफ तौर पर सामने आ रहा है। पंजाब के मंत्रियों को दिल्ली बुलाए जाने और सीएम भगवंत मान को दरकिनार किए जाने के बाद, केजरीवाल का नियंत्रण अब पूरी तरह से खत्म हो गया है। मान के दो और करीबी सहयोगियों के इस्तीफा देने से यह स्पष्ट है कि पंजाब दिल्ली-केंद्रित नियंत्रण की गिरफ्त में है। लेकिन पंजाब के लोगों ने कभी भी दिल्ली के हुक्म को स्वीकार नहीं किया है और अब वे ऐसा नहीं करेंगे।” शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने भी मंगलवार को एक्स पर लिखते हुए सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा, “पंजाब के सीएम की अनुपस्थिति में मंत्रियों को निर्देश देने वाले अरविंद केजरीवाल कौन होते हैं? क्या इसका मतलब यह है कि भगवंत मान को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है? संवैधानिक सीएम पंजाब भगवंत मान को यह भी पता नहीं था कि उनके मंत्री अपने बॉस को रिपोर्ट करने के लिए दिल्ली में हैं और उन्होंने जालंधर में कैबिनेट की बैठक बुलाई और यह जानने के बाद कि मंत्री जालंधर नहीं पहुंच पाएंगे, उन्हें स्थान और समय बदलकर चंडीगढ़ करना पड़ा, जहां वे खुद कल शाम को पहुंचे। यह किसी भी राज्य के इतिहास में पहली बार है कि सीएम अपने मंत्रियों का इंतजार कर रहा है। पंजाब में कितनी शर्मनाक स्थिति है। भगवंत मान, आपको अपने बॉस से सीधी बात करने से कौन रोक रहा है? आप पहले पंजाबियों के प्रति जवाबदेह हैं और बाद में अपने बॉस के प्रति।” हालांकि, सीएम मान के एक करीबी ने कहा कि यह फेरबदल सीएम मान की ही मंजूरी से हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हर फैसला मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद ही लिया गया है। ऊपर से किसी भी तरह का हुक्म नहीं दिया गया है। None

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