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Cheetah in India: अब साउथ अफ्रीका या नामीबिया से नहीं, इन देशों से भारत आएंगे चीते, लगातर मौत से टेंशन में सरकार

Cheetah in India: भारत सरकार देश में चीतों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है, जिसके तहत दो साल साउथ अफ्रीका और नामीबिया से भारत लाए गए चीतों की मौतों से सरकार की टेंशन बढ़ गई है। ऐसे में अब भारत अपने फैसले में कुछ बदलाव कर सकता है क्योंकि अब दक्षिण अफ्रीका या नामीबिया के अलावा भारत अन्य नए देशों से भी चीते मंगाने की सोच रहा है। जानकारी के मुताबिक इसकी बड़ी वजह चीतों के साथ भारत में आ रही जैविक परेशानियां हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत अब सोमालिया, केन्या, तंजानिया और सूडान जैसे देशों से भारत में संरक्षण के लिए चीते मंगा सकता है। उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच सर्केडियन लय में अंतर होता है और भारत नॉर्थ वाले गोलार्ध में आता है, जबकि दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया दक्षिणी में हैं। इसके चलते वहां से भारत लाए गए चीतों को भारतीय वातावरण में ढलने में परेशानी हो रही है, जिसके चलते उनके मरने तक की नौबत आ रही है। जानकारी के मुताबिक पिछले साल अफ्रीका में पड़ने वाली सर्दियों को लेकर जून से सितंबर के बीच चीतों ने मोटी खाल बना ली थी, जबकि भारत में उस वक्त भीषण गर्मी थी। इसके चलते ही 3 चीतों में सर्दियों के कोट के नीचे घाव हो गए थे और ब्लड इंफ्केशन के चलते उनकी मौत हो गई थी। गुजरात में भारी बारिश के लिए IMD ने जारी किया अलर्ट, जानें दिल्ली-NCR समेत अन्य राज्यों में कैसा रहेगा मौसम मीडिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के चीतों ने एक बार फिर सर्दियों की मोटी कोट बना ली है। हालांकि इन चीतों की सेहत को लेकर जारी चिंताओं के बावजूद एक बार फिर दक्षिणी गोलार्ध के कुछ देशों का नाम चीते लाने वाली लिस्ट में जोड़ा गया है। हालांकि अभी तक किसी से भी औपचारिक तौर पर कोई संपर्क नहीं किया गया है। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि पिछले साल 10 अगस्त को संचालन समिति की बैठक हुई थी। इसमें अध्यक्ष राजेश गोपाल ने चीतों की मौत के लिए एक कारण का अंदेशा जताया गया था। उस दौरान राजेश गोपाल ने यह भी कहा था कि चीतों की की मौत का कारण पर्यावरण, जलवायु और स्थितियों के मुताबिक जैव-ताल को समायोजित करने में लगने वाला समय माना जा रहा है। अनुमान लगाया गया है कि जो चीते जीवित हैं, उनकी तीसरी संतान ज्यादा प्रतिरोधी होगी और कुनो की परिस्थितियों के लिए बेहतर रुप से अनुकूलित होगी, जिससे उनका संरक्षण ज्यादा सहज होगा। None

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