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Public Opinion: छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई के लिए तेज हुई मांग, लोगों ने सरकार पर लगाया सौतेले व्यवहार का आरोप

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ में स्थानीय भाषा में पढ़ाई की मांग लगातार बढ़ रही है. माता-पिता, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि बच्चों को उनकी अपनी भाषा में पढ़ाने से वे बेहतर तरीके से सीख सकते हैं. उनका कहना है कि बच्चे जिस भाषा में बोलना और समझना शुरू करते हैं यदि उसी भाषा में शिक्षा मिले तो वे चीजों को जल्दी समझ पाते हैं. इससे उन्हें याद रखने में भी आसानी होती है. छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने की योजना मातृभाषा में पढ़ाई करने से न केवल बच्चों की स्मरण शक्ति और सीखने की क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, बल्कि यह उन्हें अपनी संस्कृति, परंपरा और समाज से भी जोड़ने में मदद करेगा. इस मांग के पीछे एक बड़ा उद्देश्य छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना और उसे बचाए रखना भी है. जल्द ही छत्तीसगढ़ी बने पढ़ाई का हिस्सा लोगों का यह भी कहना है कि छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने के बावजूद शिक्षा प्रणाली में इसे शामिल नहीं किया गया है. इससे लोगों में असंतोष बढ़ रहा है और वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द छत्तीसगढ़ी को स्कूलों और कॉलेजों की पढ़ाई का हिस्सा बनाया जाए. छात्रों की स्मरण शक्ति पर सकारात्मक प्रभाव शिक्षक शिव सोनी का कहना है कि हिंदी भाषा में पढ़ाई लिखाई तो हो रहा है, लेकिन मातृभाषा में पढ़ाई कराने से बच्चों की सीखने और याद रखने की क्षमता बेहतर होती है. इसके अलावा, इससे छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति बच्चों में अपनत्व का भाव भी विकसित होगा. संस्कृति और परंपरा से जुड़ाव गोवर्धन मार्शल का मानना है कि छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई से न केवल बच्चों को आसानी से समझने में मदद मिलेगी, बल्कि वे अपनी संस्कृति और परंपरा से भी जुड़े रहेंगे. छत्तीसगढ़ का हर बच्चा अपनी पहली भाषा के रूप में छत्तीसगढ़ी का ही उपयोग करता है, ऐसे में इसे शिक्षा का माध्यम बनाना बहुत जरूरी है. प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार में मदद चंद्रप्रकाश कुर्रे ने बताया कि प्रतियोगी परीक्षाओं में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रश्न पूछे जाते हैं, लेकिन खुद छत्तीसगढ़ के बच्चे भी इसमें अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते. छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई शुरू होने से छात्र बेहतर तैयारी कर सकेंगे. साथ ही छत्तीसगढ़ी में एमए करने वाले युवाओं को भी रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे. सरकार पर सौतेले व्यवहार का आरोप लोगों ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा मिलने के बावजूद इसे शिक्षा प्रणाली में शामिल नहीं किया गया है. इससे छत्तीसगढ़ीया लोगों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है. लोगों ने सरकार से जल्द से जल्द छत्तीसगढ़ी में शिक्षा शुरू करने की मांग की है. छत्तीसगढ़ में मातृभाषा में पढ़ाई की मांग केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भाषा, संस्कृति और रोजगार से भी जुड़ी है. सरकार को इस ओर ध्यान देकर छत्तीसगढ़ी भाषा को शिक्षा में स्थान देना चाहिए. Tags: Bilaspur news , Chhattisgarh government , Chhattisgarh news , Local18 साल 1987 में धर्मेंद्र ने बनाया तगड़ा रिकॉर्ड, बैक-टू-बैक 7 फिल्में हुई थीं हिट, थर-थर कांप गया था बॉक्स ऑफिस गोल्ड खरीदने की कोई लिमिट नहीं, लेकिन कैश में सोना खरीदने का नियम जरूर है, जानिए 'सिंगल ट्रांजेक्शन रूल' हड्डियां हो जाएंगी स्टील जैसी मजबूत, दांत भी नहीं हिलेंगे, बस घी में भूनकर खा लें ये ड्राई फ्रूट Hind Dairy Rasagulla: डायबिटीज को कहो 'टा-टा', सर्दियों में यहां मिल रहे शुगर फ्री रसगुल्ले सेहत हो या सुंदरता, इन बीजों से हर समस्या का होगा समाधान, सर्दी-खांसी भी टेक देगी घुटने! धर्मेंद्र ने बॉबी-सनी देओल के साथ मनाया बर्थडे, हेमा मालिनी का आया रिएक्शन- 'हमने साथ में अच्छा-बुरा वक्त...' Rampur Famous Halwa: 100 साल पुरानी तकनीक और स्वाद में क्रिस्पी, विदेश तक डिमांड मार्च 2025 में शनि गोचर, बदलेगा आपके जीवन का गणित, बन रहे धन लाभ से लेकर प्रमोशन के योग, जानें ई बिहार बा! चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था, एम्बुलेंस नहीं मिली तो मजबूरन महिला को ठेले पर लेकर भागे अस्पताल None

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