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मदद या मौत का इंतजार! पढ़ाई में माहिर लेकिन शरीर से हुआ मोहताज, इलाज में 19 करोड़ होंगे खर्च

खगड़िया : लोकल 18 पर आज हम खगड़िया के उस बदनसीब मां-बाप और बच्चे से मिलाते हैं. जिसका जीवन कहीं खो सा गया है. बच्चा खुद से ना तो उठ सकता है, न ही चल सकता है और ना ही खा सकता है. लेकिन अगर हाथ में कलम कॉपी दे दिया जाए तो टॉपर की तरह पढ़ाई कर लेता है. बच्चाे के साथ उसके माता और पिता इस उम्मीद में जी रहे कि कोई आए और मदद करें. चुकी इस लक्षण से जुड़ी बीमारी खगड़िया जिले की कई मां की गोद पहले भी सुनी कर चुकी है. वहीं परिजन इलाज में मदद न मिलने पर मृत्यु की मांग कर रहे हैं. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की चपेट में आए माही राज ने लोकल 18 से अपनी कहानी साझा की. उन्होंने बताया जब 6 साल का था तो चलने में दिक्कत होती थी और लंगड़ा कर चलता था. धीरे-धीरे चलना फिरना सब बंद हो गया. अब बैठ भी नहीं पाते हैं. वह आगे बताते हैं कि जब मैं 4 क्लास में था तो यह प्रॉब्लम हुई थी, जिसके बाद स्कूल छोड़ दिया और घर में पढ़ाई जारी रखी. अभी मैं 9वीं क्लास में हूं. माही राज की मां ने बताया मेरा सपना था कि बेटे को पढ़ा लिखा कर कुछ बनाऊंगी. लेकिन अब बच्चे की हालत साथ नहीं दे रही है. हमने सुप्रीम कोर्ट में इलाज के लिए अपील भी दायर की है. अब सरकार इलाज करने में असमर्थ है तो मुझे इच्छा मृत्यु की ही अनुमति दे दें. इलाज में खर्च होंगे 19 करोड़ माही राज के पिता राजू ने बताया साल 2015 में पता चला कि मेरे बेटे को DMD नामक बीमारी हो गई है. इसके बाद मानो हम 20 साल पीछे चले गए. जांच की पहली शुरुआत बेगूसराय से हुई थी, इसके बाद बेटे के जीवन बचाने की उम्मीद में देश का ऐसा कोई कोना नहीं बचा जहां नहीं गया. आखिरी बार एम्स में जाने के बाद जब पता चला कि इलाज में 19 करोड़ खर्च होंगे तब से मदद की आस में जिंदा हैं. बिहार सरकार के द्वारा ₹6 लाख की सहायता अब तक मिली है. सरकार को मदद के लिए आगे आना चाहिए बेगूसराय आई एम ए के पूर्व सचिव डॉ. रंजन कुमार चौधरी ने बताया कि ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक गंभीर बीमारी है, जो मुख्य रूप से लड़कों को प्रभावित करती है. ये बीमारी होने के बाद बच्चों का सरवाइव करना मुश्किल हो जाता है. यह बीमारी एक जेनेटिक डिफेक्ट है. सरकार को चाहिए कि इस बीमारी का कैसे समुचित इलाज हो? शुरुआती दौर में जांच की व्यवस्था हो? इस बीमारी के बच्चों की तलाश करनी चाहिए आंकड़े सरकार के पास होने चाहिए और इलाज की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए. Tags: Bihar News , Khagaria news , Local18 कभी सोचा है, छींकते वक्त आंखें हमेशा बंद क्यों हो जाती हैं? सर्दियों में घर पर जरूर बनाएं आंवले की ये टेस्टी रेसिपी, खाने में आ जाएगा मजा, नोट कर लें बनाने की विधि बॉलीवुड के सुपरस्टार सिंगर, सिंपलसिटी ऐसी बीच सड़क पर स्कूटी रोककर किया ये काम, घर देखने देशभर से आते हैं टूरिस्ट कौन है ये बाबा जिन्होंने 12 सालों से हाथ नीचे ही नहीं किया? Jungle news: मगरमच्छ जैसी होती है इस अनोखे कछुए की खाल, इसके जबड़े से निकल पाना होता है नामुमकिन हीरो ने डेढ़ साल ली ट्रेनिंग, बनाई दमदार बॉडी, फिर भी FLOP निकली 95 करोड़ी फिल्म, IMDb पर है हाई-फाई रेटिंग ये धुंध का नाता सिर्फ सर्दियों से ही क्यों है? गर्मी में इसे क्या हो जाता है छोड़िए पान-बीड़ी का धंधा... पाल लिया ये 5 नस्ल की गाय तो समझिए सेट है लाइफ, घर ही बन जाएगा ATM MP News : घुप अंधेरा, घना जंगल, पेड़ के नीचे कार...जैसे ही खोली कुंडी, फटी रह गई आंखें None

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