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प्राचीन संभलेश्वर मंदिर तो सुन ही लिया, जानिए कहां है रेलेश्वर महादेव मंदिर

महादेव ही अकेले वे देवता हैं, जो हर किसी के हैं. उनके भी जिसके पास मुंह नहीं है. उनके भी जिसके कई मुख हैं. तभी उनकी बारात के बारे में बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास ने लिख दिया है- कोउ मुख हीन बिपुल मुख काहू, बिनु पद कर कोउ बहु पद बाहू. बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना,रिष्टपुष्ट कोउ अति तनखीना. थोड़ी पुरानी हिंदी है, लिहाजा अर्थ समझा देना उचित होगा. गोस्वामी तुलसीदास ने शिव बारात में शामिल जीव जंतुओं, प्रेत, किन्नर और देवों का वर्णन करते हुए लिखा है कि कोई बिना मुंह वाला है तो किसी के बहुत सारे मुंह हैं. कोई बिना हाथ-पैरों के है तो कोई बहुत सारे पैरों वाला है. कोई बहुत सी आंखों वाला है, तो कोई बिना आंखों का ही है. कोई बहुत तगड़ा-तदंरुस्त है तो बिल्कुल सीकिया है. वे ये दिखाना चाहते हैं कि महादेव की बारात में सब शामिल होते हैं, चाहें वो किसी भी तरह के हो. बारात में तो खास लोग वैसे भी दुनिया के धार्मिक साहित्य में ऐसा कोई देवता नहीं है जिसके लिए कहा जा सके कि वो नृत्य-संगीत के देवता नटराज भी हैं और गले में सांप, बिच्छू जैसे जहरीले जीव जंतु लपेटे रहते हैं. उनके बहुत सारे नाम धर्म की पुरानी किताबों में है, तो अब भी जिसे जो मन करता है वो नाम उन्हें दे देता है. अब संभल में पुराना मंदिर निकला तो उसे संभलेश्वर का नाम दे दिया गया. जानते हैं कहां है रेलेश्वर महादेव मंदिर वैसे ये कोई पहला मंदिर नहीं है. पहले से ही यूपी में रेलेश्वर महादेव का भी एक मंदिर है. ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन के प्रताप विहार वाले हिस्से में रेलवे का बड़ा सा वर्कश़प है. रेलवे कॉलोनी भी है. रेलवे के और भी बहुत सारे दफ्तर हैं. हो सकता है कि किसी को लगा हो कि रेलवे के काम काज को ठीक रखने में महादेव की कृपा की जरूरत है तो रेलेश्वर महादेव की स्थापना कर दी गई. बाकायदा बोर्ड भी लगा है. पुजारी वक्त-वक्त पर महाराज की पूजा अर्चना भी करते हैं. ऐसा नहीं कि रेलवे के अलावा दूसरे लोगों को रेलेश्वर महादेव की पूजा करने की मनाही है. जो चाहे उनकी पूजा कर सकता है. वैसे भी भारत में पहली रेल तो 1853 में चली. महादेव तो अनादि हैं,अनंत हैं. संभलेश्वर मंदिर की कहानी बहरहाल, ये सब कुछ याद आया संभल में निकले संभलेश्वर महादेव से. सभी को याद होगा कि संभल में बिजली की चेकिंग के दौरान एक ऐसा हिंदू मंदिर मिला, जिसे अवैध कब्जे के चक्कर में बंद ही कर दिया गया था. साथ ही बंद किए गए कई कुएं भी मिले. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने जोरदार तरीके से मंदिर को मुक्त कराया. कुएं खुलवाए गए. कुएं से भी खंडित मूर्तियां निकलीं. मंदिर की साफ सफाई कराई गई. ये भी पढ़ें : यादों की रेल लाइन के सहारे जा रहे हैं महाकुंभ, स्टेशनों के नाम में उलझ सकते हैं, नहीं फंसना है तो पढ़ लीजिए इसे ही संभलेश्वर महादेव का नाम दिया गया. हालांकि मंदिर में दूसरी मूर्तियां भी हैं, लेकिन शिवजी के महत्व को देखते हुए ये नाम उचित भी था. साथ ही संभल का नाम भी इससे जुड़ा हुआ है. इस लिहाज से भी ये नाम ठीक है. योगी सरकार इस मंदिर पर किए गए अवैध कब्जे को खत्म करने के लिए आस पास की पैमाइश भी करा रही है. इससे पता चल सकेगा कि किन लोगों ने कितना अवैध कब्जा कर मंदिर का अस्तित्व खत्म किया था. इस तरह से एक प्राचीन महादेव मंदिर की प्रतिष्ठा हो सकेगी. अवैध कब्जा भी हटेगा. लोगों की श्रद्धा को फलने-फूलने का अवसर मिलेगा. Tags: Hindu Temple , Sambhal News छोड़िए पान-बीड़ी का धंधा... पाल लिया ये 5 नस्ल की गाय तो समझिए सेट है लाइफ, घर ही बन जाएगा ATM MP News : घुप अंधेरा, घना जंगल, पेड़ के नीचे कार...जैसे ही खोली कुंडी, फटी रह गई आंखें Parliament Clash: संसद में यहां भी संग्राम...हाथापाई तो छोड़‍िए, मारपीट पर उतारू हो गए सांसद, स्‍पीकर की कुर्सी कब्‍जाई 44 साल की उम्र में बिन शादी एक्ट्रेस हो गई प्रेग्नेंट, पेरेंट्स ने दे दी थी चेतावनी! 72 घंटे में लेना पड़ा बड़ा फैसला Chhattisgarhi Foods: छत्तीसगढ़ का फेमस पकवान है फरा, जिसे चखते ही आप कहेंगे- वाह! वाह सिर्फ 150 रुपए में स्वेटर...यूपी में यहां लगी है गर्म कपड़ों की सेल, सस्ते में मिल रहे हर आइटम दिल्ली में यहां शुरू हुआ 18 होल वाला देश का सबसे लंबा गोल्फ कोर्स! देखें फोटो 17 साल में शुरू की एक्टिंग, फिर शादी कर बनीं 2 बच्चों की मां, अब घर-बार छोड़ विदेश पहुंची स्टार एक्ट्रेस, शुरू की पढ़ाई क्या आपको पता है, Pakistan गूगल पर सबसे ज्यादा क्या सर्च करता है? None

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