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Explainer: क्या चपटी है धरती? इस सवाल का जवाब खोजने यूट्यूबर ने किया 32 लाख का सफर, जानें क्या मिला जवाब

क्या पृथ्वी चपटी है? यह ऐसा सवाल है जिसे खारिज करने पर कुछ सदियों पहले लोगों को जान से मार दिया जाता था. आज हालात अलग हैं. आज हैरानी होती है जब हम ये सुनते हैं कि कोई शख्स मानता है कि धरती गोल नहीं चपटी है. हकीकत ये है कि हर दौर में लोग यह जांचते रहे हैं और हर बार यही साबित होता रहा है कि पृथ्वी वाकई गोल है और उसका कोई सिरा नहीं हैं. हाल ही में एक यूट्यूबर जेरन कैम्पानेला इस फैक्ट को जांचने का फैसला जो खुद एक फ्लैट अर्थर थे और इसे जांचने के लिए उन्होंने 14 हजार किलोमीटर की अमेरिका के कैलिफोर्निया से अंटार्कटिका की यात्रा की और इसमें करीब 32 लाख रुपये खर्च किए. सफर से पहले क्या थे विचार ? हैरानी की बात ये है कि यात्रा पर निकलने से पहले, कैम्पानेला को यकीन था कि अंटार्कटिका सिर्फ़ एक “बर्फ की दीवार” है जहां हर दिन सूरज उगता और डूबता है. उन्होंने अपनी बात साबित करने के लिए दूर के महाद्वीप की यात्रा की. वहां पहुंचने पर, उन्हें एहसास हुआ कि दक्षिणी गोलार्द्ध की गर्मियों के दौरान अंटार्कटिका में सूरज नहीं उगता है और बाकी सभी सही थे. 24 घंटे के सूरज का सच अपने चैनल पर कैम्पानेला ने माना, “”कभी-कभी आप जीवन में गलत होते हैं मुझे इस बात का पूरा यकीन था कि 24 घंटे सूरज नहीं होता. … मैं ईमानदारी से मानता था कि 24 घंटे सूरज नहीं होता… मैं अब ईमानदारी से मानता हूँ कि ऐसा है. बस इतना ही. इसका क्या मतलब है? आपको इसका पता लगाना होता है.” पहले भी किया जा चुका है “अंतिम प्रयोग ” वैसे तो ये हजारों साल पहले यह साबित हो चुका है कि पृथ्वी असल में गोलाकार थी, लेकिन चपटी पृथ्वी के लोग सवाल उठाते रहे हैं.हैरानी की बात ये है कि कैम्पानेला ने जो प्रयोग किया है, वह पहली बार नहीं हुआ है. कोलोराडो के पादरी विल डफी ने ‘अंतिम प्रयोग’ नामक एक अभियान की योजना बनाई थी. इसमें चार “फ्लैट अर्थर्स” और चार “ग्लोब अर्थर्स” को महाद्वीप के मध्यरात्रि सूर्य को देखने के लिए अंटार्कटिका भेजा गया था. क्या साबित होता है अंटार्कटिका में अंटार्कटिका का मध्यरात्रि सूर्य इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है कि पृथ्वी गोलाकार है, क्योंकि यह घटना केवल झुके हुए और घूमते हुए गोले पर ही हो सकती है. डफी ने एक बयान में ऐलान किया था, “मैंने इस बहस को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए अंतिम प्रयोग बनाया. अंटार्कटिका जाने के बाद, किसी को भी पृथ्वी के आकार पर बहस करने में और समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा.” क्या है 24 घंटे के सूरज का सच सूरज का डूबना या सूर्यास्त का किसी दिन बिलकुल ही ना हो पाना सच नहीं होता अगर पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी ना होकर उसके सूर्य के चक्कर लगाने वाले तल के मुकाबले ना झुकी होती है. ऐसे में छह के छह महीने पृथ्वी के हर कोने में लगभग बराबर ही दिन रात होते. लेकिन पृथ्वी के झुकाव के कारण ध्रुवों की ओर जाते जाते, गर्मियों में दिन लंबे होते जाते हैं और ध्रुव के आसपास छह महीने के लिए दिन का वक्त हो जाता है. यह भी पढ़ें: GK: क्या आप जानते हैं मंगल ग्रह की ये बातें, लोगों को चौंका देते हैं ये फैक्ट्स! इसके पीछे पृथ्वी का अपनी झुकी धुरी पर घूमना और पृथ्वी का सूर्य का चक्कर लगाने की घटना है. इसे अच्छे से समझने के लिए हमें ये दोनों प्रक्रियाएं गहराई से समझना होगी. वहीं पृथ्वी के गोल होने के कई अन्य सबूत भी हैं. जैसे आप पूरी पृथ्वी का एक ही दिशा में चक्कर लगा कर उसी बिंद पर वापस लौट सकते हैं जहां से चले थे. इसके अलावा जब आप समुद्री में मीलों तक जहाज देखने की कोशिश करते हैं तो आप पृथ्वी के गोलाकार की वजह से ज्यादा दूरी तक नहीं देख सकते हैं. Tags: Bizarre news , Science facts , Science news , Shocking news , Weird news 7.9 रेटिंग वाली मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म, 1 किडनैपिंग से शुरू होती है कहानी, दिमाग का फ्यूज उड़ा देगा क्लाइमैक्स कभी सोचा है, छींकते वक्त आंखें हमेशा बंद क्यों हो जाती हैं? सर्दियों में घर पर जरूर बनाएं आंवले की ये टेस्टी रेसिपी, खाने में आ जाएगा मजा, नोट कर लें बनाने की विधि बॉलीवुड के सुपरस्टार सिंगर, सिंपलसिटी ऐसी बीच सड़क पर स्कूटी रोककर किया ये काम, घर देखने देशभर से आते हैं टूरिस्ट कौन है ये बाबा जिन्होंने 12 सालों से हाथ नीचे ही नहीं किया? Jungle news: मगरमच्छ जैसी होती है इस अनोखे कछुए की खाल, इसके जबड़े से निकल पाना होता है नामुमकिन हीरो ने डेढ़ साल ली ट्रेनिंग, बनाई दमदार बॉडी, फिर भी FLOP निकली 95 करोड़ी फिल्म, IMDb पर है हाई-फाई रेटिंग ये धुंध का नाता सिर्फ सर्दियों से ही क्यों है? गर्मी में इसे क्या हो जाता है छोड़िए पान-बीड़ी का धंधा... पाल लिया ये 5 नस्ल की गाय तो समझिए सेट है लाइफ, घर ही बन जाएगा ATM None

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