NEWS

मिसाल ! इस लड़की ने मजदूरी करके लिया MBBS में एडमिशन, दादी ने गहने गिरवी रखकर कराई NEET की कोचिंग

Success Story : नीट यूजी परीक्षा में हर साल 22-23 लाख स्टूडेंट्स शामिल होते हैं. जिसमें से 12 से 13 लाख पास होते हैं. इसमें भी MBBS कोर्स में एडमिशन सिर्फ करीब एक स्टूडेंट्स को ही मिल पाता है. मजदूरी करके MBBS सीट हासिल करके शिगा गौतमी ने मिसाल कायम की है. तेलंगाना जिले के तुंगतुरथी मंडल के वेंपति गांव की रहने वाली शिगा गौतमी ने बचपन में अपने अपने माता-पिता को खो दिया था. गौतमी के पिता का निधन तब हुआ जब वह केवल तीन साल की थीं, और उन्होंने अपने दादा-दादी की मदद से अपनी पढ़ाई जारी रखी. गौतमी ने प्राथमिक शिक्षा गांव गांव के ही स्कूल से पूरी की. इसके बाद उन्होंने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 10 में से 10 जीपीए और इंटरमीडिएट में 992/1000 अंक हासिल करके टॉप किया. गौतमी बचपन से ही MBBS डॉक्टर बनना चाहती थीं. हालांकि बहुत खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनके दादा-दादी ने ग्रेजुएशन करने की सलाह दी. लेकिन गौतमी किसी भी कीमत पर अपना सपना पूरा करना चाहती थीं. उन्होंने खूब मेहनत की. लेकिन पहले प्रयास में कम नीट यूजी रैंक के चलते डेंटल कॉलेज में सीट मिली. बीडीएस में उनकी कोई रुचि नहीं थी. इसलिए उन्होंने दोबारा नीट परीक्षा देने का फैसला किया. दादी ने गहने गिरवी रखकर कोचिंग के लिए भेजा शिगा गौतमी ने न्यूज18 से बात करते हुए बताया कि घर की आर्थिक हालत बहुत खराब थी. नीट परीक्षा के लिए कोचिंग की फीस के पैसे नहीं थे. ऐसे में उनकी दादी ने बैंक में अपना गहना गिरवी रखकर हैदराबाद में फिर से कोचिंग के लिए भेजा. इस बार नीट यूजी में उनकी 3000 रैंक आई. गौतमी को इस बार मंचिर्याला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में एडमिशन मिल गया है. शिगा गौतमी करती हैं मजदूरी शिगा गौतमी ने बताया कि उन्हें गवर्नमेंट कॉलेज में एमबीबीएस सीट तो मिल गई, लेकिन हॉस्टल और अन्य फीस भरने के लिए उन्हें काम करना पड़ा. एमबीबीएस कोर्स में उन्हें हर साल 1.50 लाख रुपये तक की वार्षिक फीस, हॉस्टल फीस और अन्य खर्चों का भुगतान करना पड़ता है. उनके दादा-दादी इस खर्च को वहन करने की स्थिति में नहीं थे. इसलिए शिगा गौतमी ने मजदूरी की. किसी ने उनकी मजदूरी करते हुए फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी, जो वायरल हो गई. जिला कलेक्टर ने दिया है मदद का आश्वासन उनके दादा-दादी को उम्मीद है कि अगर दानदाता आगे आएं और गौतमी की मेडिकल शिक्षा पूरी करने में मदद करें. यह जानकर, सूर्यापेट कलेक्टर तेजस नंदलाल पवार ने आश्वासन दिया कि मेस फीस का बोझ नहीं पड़ेगा. तुंगतुरथी सीआई डी. श्रीनिवास नाईक ने भी आर्थिक सहायता प्रदान की. कुछ अन्य दानदाताओं ने भी आर्थिक रूप से समर्थन करने का वादा किया है. गौतमी ने कहा कि उनके सहयोग के कारण उन्हें एमबीबीएस पढ़ने का अवसर मिला. गौतमी ने “लोकल18” को बताया कि वह हमेशा उनकी ऋणी रहेंगी, और एमबीबीएस पूरा करने के बाद वह एक अस्पताल स्थापित करेंगी और मुफ्त चिकित्सा सेवा प्रदान करेंगी. ये भी पढ़ें MBBS in China: एमबीबीएस करने के लिए चीन क्यों जाते हैं भारतीय? क्या मिलता है फायदा? यूरोप में पढ़ने का है सपना, इन 5 देशों में नहीं लगती फीस, भारतीय छात्र भी ले सकते हैं एडमिशन Tags: Education news , Neet exam , Success Story ये हैं दिल्ली GB रोड की कुछ मशहूर डांसर्स, फिल्म इंडस्ट्री तक थे चर्चे Agriculture News: किसानों के लिए काम की योजना, सिंचाई के लिए पंपिंग सेट खरीद पर सरकार देगी अनुदान, इतनी मिलेगी सब्सिडी विलेन जो बना सुपरस्टार, पर्दे पर नामी सितारों से ली टक्कर, 1976 में इस फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन से ज्यादा ली थी फीस Wheat cultivation: किसान गेहूं की फसल में अपनाएं ये तकनीक, नहीं होगी डीएपी खाद की जरूरत महाकाल की भस्म आरती: आज वैष्णव तिलक, आभूषण और भांग अर्पित कर भगवान गणेश रूप में सजे के बाबा, देखें तस्वीरें Foreign birds: विदेशी पक्षियों से गुलजार हुआ हस्तिनापुर, यहां देखने को मिलती हैं विभिन्न प्रजातियां ब्रजमंडल में लक्ष्मी जी का एकमात्र प्राचीन मंदिर, जहां माता स्वयं भगवान श्री कृष्ण की तपस्या में रहती है लीन POP Work: राजस्थान की महिलाएं POP से बनी रही बेहद खूबसूरत आइटम, देखें फोटो बेहद घांसू हैं ये समोसे, आलू-पनीर से होते हैं तैयार, गजब का स्वाद, खाने के लिए टूट पड़ती है भीड़ None

About Us

Get our latest news in multiple languages with just one click. We are using highly optimized algorithms to bring you hoax-free news from various sources in India.