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क्या है कार्बन बॉर्डर टैक्स? जिसके खिलाफ दुश्मनी भूलकर एकसाथ खड़े हुए भारत और चीन, अंग्रेजों की चाल का विरोध

COP 29 Summit 2024 वैसे तो भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर सालों से दुश्मनी है. हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन ने भारत समर्थित फैसलों का विरोध किया है. वहीं, भारत ने भी बीजिंग को खरी-खोटी सुनाई है. लेकिन, एक अंग्रेजों के एक फैसले को लेकर भारत और चीन एक साथ खड़े हो गए हैं. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (COP 29) में यूरोपीय यूनियन की ओर से कार्बन बॉर्डर टैक्स का प्रस्ताव दिया गया, जिसका भारत और चीन समेत विकासशील देशों ने खुलकर विरोध किया. ईयू ने कार्बन बॉर्डर टैक्स से एकतरफा व्यापार उपायों को शामिल करने की कोशिश की. आइये आपको बताते हैं आखिर इस टैक्स से भारत-चीन के अलावा अन्य विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को क्या नुकसान हैं. ये भी पढ़ें- US के हाई टैरिफ से किसकी बढ़ेगी टेंशन? डोनाल्ड ट्रंप के गेम में फंसा चीन, लेकिन भारत के लिए गुड न्यूज क्या है कार्बन बॉर्डर टैक्स यह टैक्स, खासकर भारत और चीन जैसे देशों से आयातित प्रोडक्ट्स (लोहा, इस्पात, सीमेंट और एल्युमीनियम) पर यूरोपियन यूनियन में लगने वाला कर है. कार्बन बॉर्डर टैक्स को लेकर ईयू ने यह तर्क दिया कि इस कदम से घरेलू स्तर पर बनाए गए सामान के लिए समान अवसर पैदा होंगे, साथ ही इंपोर्ट किए गए प्रोडक्ट्स से कार्बन उत्सर्जन को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. लेकिन, विकासशील देशों ने यूरोपीय संघ के इस फैसले को अपने लिए हानिकारक बताया. भारत-चीन समेत इन देशों ने कहा कि कार्बन बॉर्डर टैक्स से उनकी अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान होगा. विकासशील देशों ने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु नियमों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी देश को कार्बन उत्सर्जन में कमी की रणनीति दूसरे देशों पर नहीं थोपनी चाहिए. क्या है COP29 COP29 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) का अहम लक्ष्य ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे पर एक संयुक्त योजना बनाने के लिए विभिन्न देशों को एक साथ लाना है. इसमें विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए आर्थिक सहायता देना का भी प्रावधान है.1995 से हर साल यह सम्मेलन आयोजित किया जाता रहा है. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2024 (COP29) 11 नवंबर से अज़रबैजान की राजधानी बाकू में शुरू हुआ. इस समित में लगभग 200 देशों के प्रतिनिधियों, बिजनेस लीडर्स, जलवायु वैज्ञानिक, पत्रकार और विभिन्न विशेषज्ञों के शामिल होने ने की उम्मीद है. यह सम्मेलन 22 नवंबर तक चलेगा. Tags: Business news , China border crisis , India china Agriculture News: किसानों के लिए काम की योजना, सिंचाई के लिए पंपिंग सेट खरीद पर सरकार देगी अनुदान, इतनी मिलेगी सब्सिडी विलेन जो बना सुपरस्टार, पर्दे पर नामी सितारों से ली टक्कर, 1976 में इस फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन से ज्यादा ली थी फीस Wheat cultivation: किसान गेहूं की फसल में अपनाएं ये तकनीक, नहीं होगी डीएपी खाद की जरूरत महाकाल की भस्म आरती: आज वैष्णव तिलक, आभूषण और भांग अर्पित कर भगवान गणेश रूप में सजे के बाबा, देखें तस्वीरें Foreign birds: विदेशी पक्षियों से गुलजार हुआ हस्तिनापुर, यहां देखने को मिलती हैं विभिन्न प्रजातियां ब्रजमंडल में लक्ष्मी जी का एकमात्र प्राचीन मंदिर, जहां माता स्वयं भगवान श्री कृष्ण की तपस्या में रहती है लीन POP Work: राजस्थान की महिलाएं POP से बनी रही बेहद खूबसूरत आइटम, देखें फोटो बेहद घांसू हैं ये समोसे, आलू-पनीर से होते हैं तैयार, गजब का स्वाद, खाने के लिए टूट पड़ती है भीड़ हिमांश कोहली ने लिए सात फेरे, खूबसूरती में एक्ट्रेसेस को टक्कर देती हैं पत्नी, सादगी देख याद आजाएगी ‘पूनम’ None

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