ढाका: बांग्लादेश में लगातार जारी अशांति और हिंदुओं पर हमले को लेकर अंतरिम सरकार के कार्यवाहक मोहम्मद यूनुस के मुख्य सलाहकार व प्रेस सचिव शफीकुल आलम का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा भारत के साथ संबंधों और हिंदुओं पर हमलों को लेकर यह बयान दिया है। शफीकुल ने ने पहले तो शेख हसीना पर हमला बोला और कहा, "...शेख हसीना एक सामूहिक हत्यारी है। उन्होंने सबसे क्रूर तानाशाही में से एक का संचालन किया है। बता दें कि शेख हसीना इस वक्त भारत में हैं। शफीकुल आलम ने कहा कि हम यह जानकर हैरान और आश्चर्यचकित हैं कि उन्हें अभी भी अपने आवास से मीडिया से बात करने की अनुमति है...''भारतीय विदेश सचिव की बांग्लादेश यात्रा पर वे कहते हैं, ''हम भारतीय विदेश सचिव की यात्रा का इंतजार कर रहे हैं, दोनों समकक्ष आपसी हित के मुद्दों पर बात करेंगे। हमें उम्मीद है कि बैठक से दोनों देशों के बीच संबंध और गहरे होंगे। उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारे संबंध ठीक बने हुए हैं और दोनों देश संबंधों को और गहरा करने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में हमारे संबंध और बेहतर होंगे। वहीं बांग्लादेश में हिंदू नेता चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद'' इस्कॉन मंदिर पर प्रतिबंध लगाए जाने के सवालों पर उन्होंने कहा कि "हमने बार-बार कहा है कि इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की हमारी कोई योजना नहीं है।" हम ऐसा कुछ भी नहीं करने जा रहे हैं। हालांकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों पर उन्होंने चुप्पी साधे रखी। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के एक प्रमुख सहयोगी ने बुधवार को कहा कि भारत को द्विपक्षीय संबंधों को नये सिरे से शुरू करने के लिए देश में जुलाई-अगस्त में हुए उस विद्रोह को स्पष्ट रूप से मान्यता देनी चाहिए, जिसने प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार सत्ता से बाहर कर दिया था। अंतरिम सरकार में वस्तुत: मंत्री का दर्जा रखने वाले महफूज आलम ने एक फेसबुक पोस्ट में उल्लेख किया कि भारत सरकार ने विद्रोह को कुछ इस तरह से चित्रित करने की कोशिश की जैसे यह ‘‘ सत्ता पर कुछ अतिवादियों, हिंदू विरोधी और इस्लामी कट्टरपंथियों का कब्जा हो गया हो।’’ आलम ने भारत से ‘‘75 के बाद की रणनीति बदलने और बांग्लादेश की नयी वास्तविकताओं को समझने’’ को भी कहा। आलम बांग्लादेश के ‘‘एंटी डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट्स मूवमेंट’’ के एक प्रमुख नेता हैं। आलम ने लिखा, ‘‘यह (मान्यता) सबसे पहली चीज है जिससे शुरुआत की जानी चाहिए। जुलाई के विद्रोह को दरकिनार करके, नये बांग्लादेश की नींव रखना दोनों देशों के रिश्तों के लिए हानिकारक होगा।’’ आलम ने लिखा, ‘‘बंगाल के इस हिस्से में रहने वाले भारत-प्रेमी या भारतीय सहयोगी’’ सोच रहे थे कि चीजें शांत हो जाएंगी और जुलाई के विद्रोह और ‘‘फासीवादियों के अत्याचारों से उन्हें कुछ भी नुकसान नहीं होगा। Latest World News None
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