सियोल: साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मंगलवार को देश में ‘इमरजेंसी मार्शल लॉ’ लगाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने साथ ही विपक्ष पर संसद पर हावी होने, नॉर्थ कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और देश विरोधी गतिविधियों के साथ सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया। राष्ट्रपति के ऐलान के कुछ घंटों बाद संसद ने घोषणा को ‘निष्प्रभावी’ करने के लिए मतदान किया। मतदान के दौरान नेशनल असेंबली के अध्यक्ष वू वोन शिक ने ऐलान किया कि सांसद ‘लोगों के साथ मिलकर लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।’ वू ने पुलिस और सैन्यकर्मियों को संसद परिसर से हटने के लिए कहा। साउथ कोरिया की ‘योनहाप’ न्यूज एजेंसी के मुताबिक, यून के ऐलान के बाद देश की सेना ने घोषणा की कि संसद और अन्य राजनीतिक सभाएं, जो ‘समाज में भ्रम’ पैदा कर सकती हैं, सस्पेंड कर दी जाएंगी। यून ने टीवी पर अपने संबोधन के दौरान यह ऐलान करते हुए ‘नॉर्थ कोरिया समर्थक ताकतों को खत्म करने और संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा करने’ का संकल्प जताया। अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि यून के इस कदम से देश के शासन और लोकतंत्र पर क्या असर पड़ेगा। यून के इस कदम का पक्ष और विपक्ष दोनों के राजनेताओं ने विरोध जताया है। वहीं, आम लोग भी सड़कों पर उतरकर विरोध जताते देखे गए हैं। Image Source : AP विरोध जताने वालों में यून की अपनी रूढ़िवादी पार्टी के नेता हान डोंग-हून भी शामिल हैं। हून ने राष्ट्रपति के इस फैसले को ‘गलत’ बताया और ‘लोगों के साथ मिलकर इसे रोकने’ का संकल्प लिया। विपक्षी नेता ली जे-म्यांग ने यून के ऐलान को ‘अवैध और असंवैधानिक’ करार दिया। बता दें कि ली जे-म्यांग 2022 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में यून से मामूली अंतर से हार गए थे। हाल में देश में यून की लोकप्रियता में कमी देखी गई है। 2022 में पदभार ग्रहण करने के बाद से विपक्ष पर बढ़त बनाए रखने को लेकर उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी है। यून की रूढ़िवादी ‘पीपुल्स पावर पार्टी’ का अगले साल के बजट बिल को लेकर उदारवादी विपक्षी ‘डेमोक्रेटिक पार्टी’ के साथ गतिरोध बना हुआ है। राष्ट्रपति अपनी पत्नी और बड़े अधिकारियों से जुड़े कथित घोटालों की स्वतंत्र जांच की मांग को भी खारिज करते रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर भी उनके प्रतिद्वंदी उन्हें लगातार घेर रहे हैं। यून के ऐलान के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने सांसदों की एक इमरजेंसी मीटिंग बैठक बुलाई है। इस बीच राष्ट्रपति के ऐलान के बाद सड़कों पर लोगों की भी भारी भीड़ देखी गई है। देश में बड़ी संख्या में लोग राष्ट्रपति के कदम का विरोध कर रहे हैं। Latest World News None
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