शोधनेचर रिव्यू कार्डियोलाजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, भारी धातुएं और कीटनाशक हमारी सोच से ज्यादा खतरनाक हैं। शोधकर्ताओं ने कहा है कि इन पदार्थों का पहले जितना सोचा गया था उससे कहीं ज्यादा खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों में भारी वृद्धि हो सकती है। जबकि स्वस्थ, प्रदूषण रहित मिट्टी और साफ पानी लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवों के लिए आवश्यक है। पानी, हवा और मिट्टी का प्रदूषण चुपचाप हमारे दिल को खोखला कर रहा है। एक अध्ययन के मुताबिक, दुनियाभर में प्रदूषण के कारण हर साल 90 लाख अकाल मौतें हो जाती है, जिनमें से आधे हृदय संबंधी बीमारियों के कारण होती हैं। यह दुनिया भर में होने वाली मौतों का 16 फीसद है, जो एक भयावह आंकड़ा है। नेचर रिव्यू कार्डियोलाजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, भारी धातुएं और कीटनाशक हमारी सोच से ज्यादा खतरनाक हैं। शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा है कि इन पदार्थों का पहले जितना सोचा गया था उससे से कहीं ज्यादा खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों में भारी वृद्धि हो सकती है। जबकि स्वस्थ, प्रदूषण रहित मिट्टी और साफ पानी लोगों के स्वास्थ्य के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवों के लिए आवश्यक है। मिट्टी और पानी में मिले रसायन अरबों लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं। प्रदूषकों में भारी धातुएं और माइक्रोप्लास्टिक से सूजन, आक्सीडेटिव या आक्सीकरण से होने वाले तनाव और एंडोथेलियल डिसफंक्शन, खून की नसों और हृदय की आंतरिक दीवार के ऊतकों के लिए खतरा पैदा करने के लिए जिम्मेदार हैं। नेचर रिव्यू कार्डियोलाजी में प्रकाशित अध्ययन में हृदय रोग विशेषज्ञों द्वारा अक्सर कम करके आंके जाने वाले इस खतरे की भयावहता को सामने लाया गया है। दिवाली के बाद भी कम नहीं हो रहा प्रदूषण, दिल्ली से लेकर बिहार तक बुरा हाल, AQI 450 पार ये प्रदूषक मनुष्य के जैविक घड़ी को प्रभावित करते हैं और खून की नसों की परत को बदलते हैं, जिससे हृदय रोग में तेजी आती है। जल प्रदूषण दुनिया भर की आबादी के 25 फीसदी पर असर डालता है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। सहारा की धूल सहित वायुमंडल में जारी कण भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, जो हृदय संबंधी बीमारियों से संबंधित 7,70,000 वार्षिक मौतों का कारण बनते हैं। इसके अलावा मिट्टी के क्षरण की वजह से दुनिया की 40 फीसदी आबादी के स्वास्थ्य को खतरा है। दिवाली के बाद भी कम नहीं हो रहा प्रदूषण, दिल्ली से लेकर बिहार तक बुरा हाल, AQI 450 पार शोधकर्ता शोध के हवाले से हृदय रोग की रोकथाम में इन पर्यावरणीय कारणों पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। कीटनाशकों के उपयोग को कम करना, बेहतर वायु गुणवत्ता प्रबंधन और पानी को छानने से इन खतरों को कम किया जा सकता है। शोध में कहा गया है कि ये उपाय लंबे समय तक अपनाए जाने चाहिए, जिसमें प्रदूषण को कम करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने के उद्देश्य से इन्हें दुनिया भर में लागू किया जाना चाहिए। वहीं यूरोपीय आयोग का लक्ष्य 2050 तक प्रदूषण मुक्त यूरोप बनाना है। जल प्रदूषण के पीछे का कारण भारी धातुओं, औद्योगिक रसायनों और कीटनाशकों जैसे प्रदूषकों का जलीय प्रणालियों में मिलाना है। इन प्रदूषकों का मनुष्य के स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है, जिसमें हृदय संबंधी बीमारियां भी शामिल हैं। None
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