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जम्मू-कश्मीर में बीजेपी क्यों पिछड़ती हुई दिख रही है? एग्जिट पोल सही हुए तो किन कारणों पर हो सकता है मंथन

जम्मू-कश्मीर विधानसभा के एग्जिट पोल बीजेपी के लिए बहुत अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं। जबकि पार्टी को इस बार राज्य में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है और उसके नेता लगातार कहते रहे हैं कि इस बार बिना बीजेपी के सरकार नहीं बनेगी। हालांकि आंकड़े बीजेपी के इस आत्मविश्वास पर खरे नहीं उतर रहे हैं। बात करें सीवोटर एग्जिट पोल की तो जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया है, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन को 95 सदस्यीय सदन में 40 से 48 सीटें मिलने की उम्मीद है। 90 विधायक चुने जाते हैं, जबकि पांच उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। यहां बीजेपी को 27 से 32 सीटें मिलने की संभावना है। सभी एग्जिट पोल में नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस के के लिए अच्छी खबर है। लेकिन इसने भाजपा के सपनों को झटका दिया है। पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार द्वारा ‘नया कश्मीर’ बनाने का स्लोगन कामयाब होता नहीं दिख रहा है। इससे यह सवाल उठता है कि ‘नया कश्मीर’ का यह विजन भाजपा के लिए चुनावी फायदे में क्यों नहीं बदल पाया, जिसने घाटी में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और अपने कैडर को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत की है, साथ ही सैयद अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी और सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन भी किया है। Haryana Vidhan Sabha Chunav: ‘हरियाणा पर बोलना मना है’, एग्जिट पोल के नतीजों पर बोले बृजभूषण सिंह जम्मू-कश्मीर में अपना पहला मुख्यमंत्री पाने की भाजपा की महत्वाकांक्षाओं के लिए घाटी में बेहतर प्रदर्शन महत्वपूर्ण था। हालांकि, ऐसा लगता है कि एग्जिट पोल घाटी बीजेपी के प्रदर्शन में किसी तरह का फायदा नहीं दिखा रहे हैं। राजनीति विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी को धारा 370 हटाने का राजनीतिक फायदा नहीं बल्कि नुकसान हुआ है। जबकि कांग्रेस और एनसी का एक साथ आना भी बीजेपी के लिए चुनौती साबित हुआ है। भाजपा की ‘नया कश्मीर’ का नारा और पार्टी की सख्त कार्रवाई की छवि से खासतौर पर घाटी में एक माहौल बना जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ। कहा गया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को दबाया जा रहा है। इस तरह के प्रचार से भी बीजेपी को काफी नुकसान हुआ। None

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