Follow Us SBI Healthcare Opportunities Fund ने 5 साल में लंपसम इनवेस्टमेंट और SIP दोनों पर शानदार रिटर्न दिए हैं. (Image : Freepik) SBI Mutual Fund High Return Scheme : देश के सबसे बड़े फंड हाउस में शामिल एसबीआई म्यूचुअल फंड (SBI Mutual Fund) के एक सेक्टोरल फंड ने पिछले 5 साल में अपने निवेशकों की दौलत को 4 गुने से भी ज्यादा कर दिया है. एसबीआई हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड (SBI Healthcare Opportunities Fund) में अगर किसी ने 5 साल पहले 1 लाख रुपये लगाए होंगे, तो उसकी मौजूदा फंड वैल्यू 4 लाख रुपये से ज्यादा हो चुकी होगी. SBI म्यूचुअल फंड की यह स्कीम मुख्य रूप से फार्मास्युटिकल और हेल्थकेयर कंपनियों के शेयर्स में निवेश करती है. इस फंड ने न केवल लंपसम इन्वेस्टमेंट पर बल्कि SIP पर भी शानदार रिटर्न दिया है. SBI हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड में अगर आपने 5 साल पहले 1 लाख रुपये निवेश किए होते, तो उसकी मौजूदा वैल्यू 4 लाख रुपये से ज्यादा होती. वहीं 5 साल तक हर महीने 10 हजार रुपये की SIP करने पर 12 लाख रुपये से ज्यादा का फंड जमा हो गया होता. इस कैलकुलेशन का डिटेल आप यहां देख सकते हैं: Also read : Axis Mutual Fund NFO: एक्सिस का नया इंडेक्स फंड लॉन्च, वैल्यू इनवेस्टिंग का मिलेगा लाभ, किनके लिए सही है निवेश? स्कीम : SBI हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड (डायरेक्ट प्लान) एकमुश्त निवेश : 1 लाख रुपये निवेश की अवधि : 5 साल 5 साल का सालाना औसत रिटर्न (CAGR) : 32.90% 1 लाख के निवेश की 5 साल साल बाद वैल्यू : 4,14,596 रुपये (4.14 लाख रुपये) मंथली SIP की रकम : 10 हजार रुपये निवेश की अवधि : 5 साल 5 साल में SIP के जरिये जमा कुल रकम : 6 लाख रुपये 5 साल का एन्युलाइज्ड रिटर्न : 30.9% SIP इनवेस्टमेंट की 5 साल बाद फंड वैल्यू : 12,80,774 रुपये (12.80 लाख रुपये) SBI हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड का मकसद हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के विस्तृत पोर्टफोलियो में निवेश करके लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन करना है. इस फंड का लगभग 96.24% हिस्सा इक्विटी में लगा है, जबकि 3.76% निवेश कैश और कैश जैसे एसेट्स में है. इस फंड के इक्विटी पोर्टफोलियो में ज्यादातर फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियां शामिल हैं. Also read : Amazing SIP Return: 1000 रुपये की छोटी सी रकम से खुला 3 करोड़ का खजाना ! 29 साल पुराने मिडकैप फंड का कमाल - एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM): 3,357.28 करोड़ रुपये (1 अक्टूबर 2024) - बेंचमार्क: BSE Healthcare Total Return Index (5 साल का CAGR : 29.87%) - बेंचमार्क रिटर्न (5 साल): 29.87% - रिस्क लेवल : वेरी हाई (Very High) - एक्सपेंस रेशियो: - डायरेक्ट प्लान: 0.90% - रेगुलर प्लान: 1.96% कंपनी / पोर्टफोलियो में हिस्सेदारी Sun Pharmaceutical : 11.94 % Divi's Lab : 5.73 % Lupin : 5.60 % Max Healthcare : 5.44 % Cipla : 5.17 % लंबी अवधि में हाई रिटर्न: हेल्थकेयर सेक्टर में हाई ग्रोथ की संभावनाएं हैं, और SBI हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड ने पिछले 5 सालों में जबरदस्त रिटर्न दिया है. SIP पर भी हाई रिटर्न: SBI हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड ने SIP के जरिये किए गए निवेश पर भी बेहतर रिटर्न दिए हैं, जो मार्केट में उतार-चढ़ाव के बीच निवेश का बेहतर तरीका माना जाता है. हेल्थकेयर सेक्चर की संभावनाएं: भारत जैसी विशाल आबादी वाले देश में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में विस्तार की अनंत संभावनाएं मानी जाती हैं. इस लिहाज से हेल्थकेयर सेक्टर निवेश के लिए एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें लंबी अवधि में डिमांड बनी रहने की संभावना है. Also read: EPF और NPS का करें सही इस्तेमाल, 40 हजार सैलरी से बनेगा 3 करोड़ का रिटायरमेंट फंड सेक्टोरल रिस्क: चूंकि यह फंड केवल हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर में निवेश करता है, इसलिए अगर इस सेक्टर से जुड़े उतार-चढ़ाव इस फंड के प्रदर्शन को भी प्रभावित कर सकते हैं. इस लिहाज से इस फंड में सेक्टोरल डायवर्सिफिकेशन की कमी है. लंबी अवधि के लिए होल्ड करना जरूरी: इस फंड में निवेश के लिए आपको लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखना पड़ेगा, खासकर अगर आपने लंप सम निवेश किया है. हाई रिस्क: रिस्कोमीटर के अनुसार यह फंड बहुत हाई रिस्क के तहत आता है, इसलिए इसे केवल उन निवेशकों के लिए सही माना जाता है जो हाई रिस्क ले सकते हैं. Also read : Israel-Iran War: इजरायल-ईरान की जंग का क्या होगा असर, क्या भारत में बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? SBI हेल्थकेयर ऑपर्च्युनिटीज फंड उन निवेशकों के लिए एक अच्छा विकल्प है, जो हेल्थकेयर और फार्मास्युटिकल सेक्टर में निवेश करना चाहते हैं और लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न पाने के लिए ज्यादा जोखिम लेने को तैयार हैं. हालांकि छोटे निवेशकों को इस तरह के सेक्टोरल फंड में निवेश करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह फंड एक खास सेक्टर पर फोकस्ड है, जिससे कई बार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है. इसकी बजाय छोटे निवेशकों को फ्लेक्सी-कैप या मल्टी कैप जैसे ज्यादा डायवर्सिफाइड फंड्स में निवेश करनी चाहिए, क्योंकि उनमें रिस्क तुलनात्मक रूप से कम रहता है. इसके बावजूद जो निवेशक इस सेक्टोरल फंड में पैसे लगाना चाहते हैं, उन्हें SIP के जरिये निवेश करना चाहिए जिससे एवरेजिंग का फायदा मिलता है और मार्केट में उतार-चढ़ाव का सामना करना कुछ आसान रहता है. इसके अलावा इसमें निवेश करने वालों को कम से कम 7 साल तक बने रहने की तैयारी रखनी चाहिए. (डिस्क्लेमर: इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी मुहैया कराना है, किसी फंड में निवेश की सलाह देना नहीं. इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में किए गए निवेश पर शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है. निवेश का कोई भी फैसला अपने निवेश सलाहकार की राय लेकर ही करें.) None
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