पटना. बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की अहमियत अब बढ़ने लगी है. पीके धीरे-धीरे राज्य की राजनीति में पैर ही नहीं जमा रहे हैं, बल्कि दूसरे के जमे जमाए पैर को उखाड़ना भी शुरू कर दिया है. बीपीएससी छात्रों के समर्थन में प्रशांत किशोर का आमरण अनशन लगताार सुर्खियां बटोर रहा है. हालांकि, प्रशांत किशोर का यह आंदोलन कितना परवान चढ़ेगा यह तो वक्त बताएगा. लेकिन, सोमवार सुबह उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही राज्य की राजनीति गर्माने लगी है. पहले, प्रशांत किशोर को जमानत मिलना और फिर बेल बॉन्ड भरने से इनकार करना बता रहा है कि वह इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं. प्रशांत किशोर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिए गए हैं. दरअसल, सोमवार को पीके ने कोर्ट से सशर्त जमानत लेने से साफ इनकार कर दिया था. पीके ने साफ कह दिया कि वह जेल में भी आमरण अनशन जारी रखेंगे. ऐसे में यह साफ हो गया है कि बिहार की सियासत में पीके वाला चैप्टर अभी कुछ दिन और चलेगा? क्या पीके की यह राजनीति नीतीश-लालू के साथ-साथ बीजेपी को भी नुकसान पहुंचाने वाली है? जानकारों की मानें तो पीके अब धीरे-धीरे बिहार की रजनीति को समझने लगे हैं. ऐसे में अगर कोई भी पार्टी पीके को हल्के में लेती है तो परिणाम के लिए भी तैयार रहे. क्या पीके बदलेंगे बिहार की राजनीति? दरअसल, प्रशांत किशोर को सोमवार सुबह गांधी मैदान से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. पटना के एसडीजेएम कोर्ट ने पीके को 25 हजार के निजी मुचलके पर बेल भी दे दिया. लेकिन, बेल बॉन्ड के शर्त से पीके ने बेल न लेने का फैसला किया. पीके ने कहा कि जिस तरह से बेल बॉन्ड की शर्त है इससे यह साबित होता है कि मैंने गलती की है. जबकि, गांधी मैदान में शांतिपूर्वक अनशन करना अपराध नहीं है. इसलिए बेल की जो शर्तें हैं, उसे मानने से मैं इनकार करता हूं. बता दें कि प्रशांत किशोर ने कोर्ट में खुद बहस की. इस दौरान पीके ने जज को बताया कि उनके साथ किस तरह पटना पुलिस ने बर्बरता की. क्या प्रशांत किशोर जेल में करेंगे अनशन? ऐसे में प्रशांत किशोर के आमरण अनशन के बाद बेल लेने से इनकार करने के बाद क्या बिहार की राजनीति गर्मा सकती है? अब प्रशांत किशोर को मनाने के लिए बिहार सरकार क्या कदम उठाएगी? जानकारों की मानें तो बिहार की राजनीति छोड़ दीजिए देश की राजनीति में भी प्रशांत किशोर एक अलग हैसियत रखते हैं. खासकर मौजूदा समय में प्रशांत किशोर बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में आमरण अनशन करने के कारण चर्चा में बने हुए हैं. प्रशांत किशोर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में बेशक जेल गए हैं. लेकिन, इसकी चर्चा आने वाले दिनों में होती रहेगी. बता दें कि प्रशांत किशोर वैसे तो साल 2011 में ही राजनीति में एंट्री ले ली थी, जब वह गुजरात के तत्कालीन सीएम और देश के मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी के साथ जुड़े थे. साल 2014 में पीएम मोदी के रणनीतिकार बनने के बाद वह पूरे देश की नजर में आए थे. हालांकि, साल 2014 के बाद वह पीएम मोदी का साथ छोड़कर जेडीयू ज्वाइन कर लिया और बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में महागठबंधन के रणनीतिकार बनकर जीत दिलाई. हालांकि, बाद में उन्होंने जेडीयू को भी छोड़ दिया और साल 2024 में जन सुराज पार्टी बनाकर खुद ही मैदान में उतर आए हैं. अब पीके बिहार में जन सुराज पार्टी को स्थापित करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में छात्र आंदोलन के रास्ते पीके आगामी विहार विधानसभा चुनाव में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बेताब हैं. Tags: Bihar News , Bihar politics , Prashant Kishor अगर आप भी हैं नेचर लवर तो घूम आइए वीरमाता जीजाबाई भोसले उद्यान, यहां मिलेंगे अनोखे पेड़ जो हैं बेहद स्पेशल मन्नत पूरी होने पर झारखंड के भक्त ने महाकाल मंदिर में भेंट की 3kg चांदी का मुकुट, तस्वीरों में देखें बाबा की झलक कोतवाली में चल रही थी खुदाई, अचानक बदल गई JCB की आवाज, डर गया ड्राइवर, फिर जो मिला.. 85 रुपये है शेयर का दाम, 80 रुपये पहुंच गया GMP, अभी भी है दांव लगाने का मौका महाकाल के दरबार पहुंची रिमी सेन, यूथ को दिया खास मेसेज, देखें एक्ट्रेस की लेटेस्ट फोटो संगीत की दुनिया का 'दिलीप कुमार', पिता के निधन के बाद अपनाया इस्लाम, बदल गई किस्मत- 'जरूरी बात यह है कि...' सड़क पर दिखे शव यात्रा तो करें ये काम, पंडित जी ने बताया ऐसे होगा कल्याण एक्टर को देखते ही हो गए थे मुरीद, 1975 की फिल्म में दिया सबसे बड़ा रोल, 50 साल बाद भी अमर है खलनायक का किरदार सावधान! सर्दियों में जान ले सकता है दांत-मसूड़ों का दर्द, इन 5 उपायों से पाएं झटपट राहत None
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