दरभंगा:- कोरोना काल के दौरान एक वीडियो काफी वायरल हुआ था, जहां गुरुग्राम से अपने दिव्यांग पिता को साइकिल पर बैठाकर 1300 किमी दूर दरभंगा लाने वाली ज्योति की काफी तारीफ हुई थी. लेकिन एक बार फिर से वो एक-एक रुपए के लिए मोहताज हो गई हैं. जिस वक्त वह अपने पिता को लेकर आई थी, पोस्टर गर्ल के रूप में सुर्खियों में आ गई थी. तब कई लोगों ने उनकी आर्थिक मदद का वादा किया था. इनमें से ज्यादातर अब उसे पहचानने से भी इंकार कर रहे हैं. आर्थिक तंगी के कारण उनकी पढ़ाई रूक गई है. पिता की मौत के बाद मां की आंगनबाड़ी सेविका की मामूली मानदेय पर परिवार चलता है. लोकल 18 से बात करते हुए ज्योति कुमारी बताती हैं कि अभी बहुत स्थिति खराब चल रही है. मम्मी आंगनवाड़ी में काम कर रही हैं, उससे पूरा परिवार चलता है. जिस वक्त हम आए थे, उस वक्त लोगों ने बहुत सारे वादे किए थे. लोग पढ़ाने-लिखाने तक का वादा किए थे, लेकिन अब कुछ भी नहीं है. इंटर पास कर लिए हैं और BA में पैसे के अभाव में एडमिशन नहीं हो पाया है. जो लोग वादा किए थे, अब वो लोग एक बार भी देखने तक नहीं आते हैं कि हमारी जिंदगी कैसे कट रही है. ज्योति की विभाग भी नहीं ले रही है सुध ज्योति को नशा मुक्ति का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था, लेकिन उसमें भी जिस दिन बने थे, उसी दिन विभागीय टीम के द्वारा मुझे ले गया था. उसके बाद एक बार भी वह लोग नहीं ढूंढे हैं. जिस दिन ले गए थे, उसी दिन मुझे दो सेट कपड़ा और 50 हजार रुपये दिए थे, साथ में पढ़ने के लिए एक टैब भी दिया गया था. उसके बाद से एक बार भी हाल-चाल लेना सही नहीं समझा. अभी मम्मी जो आंगनवाड़ी में काम करती हैं, उसी पैसे से परिवार चल रहा है. अब सोच रहे हैं कि जो लोग पहले बोले थे कि घर पैसा देंगे, आज वो लोग देखते भी नहीं हैं. लॉकडाउन के समय साइकिल से अपने विकलांग पिता को लेकर ज्योति दिल्ली से दरभंगा आई थीं. कोरोना के समय में साइकिल 1000 रुपए में खरीदे थे. जिससे खरीदे, उसको 500 रुपए ही दिया, 500 रुपए अभी तक दिए भी नहीं हैं और फिर से गरीबी की हालत में जिंदगी कट रही है. जिन लोगों ने ज्योति की पढ़ाई का वादा किया था, अब फोन उठाने से भी कतराते हैं. ये भी पढ़ें:- पिता घर-घर जाकर करते हैं मजदूरी, बेटे ने कराटे चैंपियनशिप में जीता गोल्ड मेडल, परिवार का नाम किया रोशन पहचानने से भी कर रहे इनकार वही ज्योति की मां फूलों देवी Local 18 को बताती हैं कि सरकार से अभी कुछ ही मदद नहीं मिल पा रहा है. कोई खोजने तक नहीं आ रहा है. जिस वक्त ज्योति साइकिल से आई थी, उसी वक्त 10 से 15 लाख रुपया मिला था. ज्योति के पिता को भी सरकार नौकरी देने की बात कही थी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ. कुछ लोगों का नंबर मेरे पास है, जिन्होंने वादा किया था, लेकिन उन लोगों को जो फोन करते हैं, तो वह लोग फोन भी नहीं उठाते हैं. जो फोन उठाते हैं, वह पहचान से भी इनकार कर रहे हैं. ज्योति की पढ़ाई अभी पैसे के अभाव में बंद है. चार धुर में मकान बना, वह भी पड़ोसियों के द्वारा हड़पने की कोशिश की जा रही है. आज ज्योति के पिता की मौत के बाद वह दिन याद आ रहे हैं, जिस वक्त ज्योति अपने विकलांग पिता को लेकर दिल्ली से दरभंगा आई थी और लोगों ने कितनी सराहना की थी. लेकिन आज उन तमाम वादों को याद करके आंखों में आंसू आ जाते हैं, कोई देखने वाला तक नहीं है. Tags: Bihar News , Darbhanga news , Local18 ये 5 सस्ती चीजें किडनी को बनाती हैं स्ट्रांग! जवानी में ही शुरू कर दें खाना, बुढ़ापे तक गुर्दे रहेंगे चकाचक मटर छीलने के लिए आजमाएं ये धांसू ट्रिक, नहीं लगेगी मेहनत, मिनटों में निकल जाएंगे सारे दाने न सूप...न चाय, कड़ाके की ठंड में पिएं ये देसी टॉनिक, शरीर रहेगा गर्म, हड्डियों को भी बनाएगा मजबूत! न कैटरीना-न प्रियंका...27 साल की इस पाकिस्तान एक्ट्रेस के दीवाने हुए लोग, ग्लैमरस अंदाज से लूट लेती हैं हर महफिल! 1977 की ब्लॉकबस्टर फिल्म, अमिताभ बच्चन ने जीता बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड, हाथ मलते रह गए थे ऋषि कपूर-विनोद खन्ना 'दंगल' के बाद अब चीन में छाई एक और फिल्म, थिएटर में रोते दिखे लोग, 20 करोड़ी फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रचा इतिहास Sheep Farming: गाय-भैंस नहीं भेड़ का करें पालन, एक सीजन में होगी 5 लाख की कमाई; जानें कैसे? कोरोना में कारोबार हुआ ठप, फिर अब्बा ने दी सलाह, अंडे से मिल गया कामयाबी का फंडा Queen Bee: अपने जीवन में सिर्फ एक बार संभोग करती है ये मक्खी, लगातार पांच सालों तक देती अंडे None
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