पूर्वी चंपारण. भारत-नेपाल सीमा पर स्थित घोड़ासहन का कुरनिया माता मंदिर ना केवल धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि यह लोगों की मान्यताओं और चमत्कारी घटनाओं से जुड़ा हुआ है. इस मंदिर का महत्व इस कदर बढ़ गया है कि यहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. विशेषकर सोमवार और शुक्रवार को मंदिर परिसर में एक अद्भुत मेला सा दृश्य बन जाता है. यह मंदिर नेपाल सीमा के निकट स्थित है और इसे क्षेत्र का प्रमुख सिद्धपीठ का दर्जा प्राप्त है. शहर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर ढाका-घोड़ासहन मुख्य सड़क के किनारे स्थित यह भगवती स्थल, ना केवल श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है, बल्कि लोगों के नए वाहनों के पूजन का भी एक प्रमुख स्थान भी है. यहां हर सोमवार और शुक्रवार को विशेष मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें सीमावर्ती नेपाल और आस-पास के जिलों से हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन और पूजा-अर्चना करने आते हैं. अंग्रेज अधिकारी ने भी की थी पूजा स्थानीय निवासियों के अनुसार, दशकों पहले यहां एक छोटा सा भगवती का पिंड हुआ करता था और कभी-कभार ही पूजा-पाठ होता था. पुरनहिया कोठी स्थित एक अंग्रेज अधिकारी नील की मशीन बार-बार खराब होने के कारण परेशान थे. तब ग्रामीणों ने उन्हें यहां पूजा करने की सलाह दी थी. अंग्रेज अधिकारी द्वारा पूजा करने के बाद मशीन सही हो गई, जिसके बाद यहां नियमित पूजा का सिलसिला शुरू हो गया. प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को इस भगवती स्थल पर मेला का आयोजन किया जाता है. इस दिन विशेष रूप से सैकड़ों श्रद्धालु अपने नए वाहनों का पूजन कराने के लिए यहां आते हैं. यह परंपरा श्रद्धालुओं में माता के प्रति आस्था और सुरक्षा की कामना से जुड़ी हुई है. यह माना जाता है कि यहां पूजा कराने से वाहन और उसके यात्री दुर्घटना से सुरक्षित रहते हैं और उनकी यात्रा शुभ होती है. आस्था के साथ रोजगार का बड़ा जरिया है यह मंदिर इस मंदिर में होने वाले मेलों के दौरान स्थानीय लोगों को भी अच्छी-खासी आजीविका के अवसर मिलते हैं. मेला के दौरान आस-पास के दुकानदारी, प्रसाद, फूल, माला बेचने वाले छोटे व्यापारियों की अच्छी आमदनी होती है. इसके अलावा, वाहनों के पूजन के लिए आवश्यक सामग्री बेचने वाले भी इस अवसर का लाभ उठाते हैं. स्थानीय युवाओं के लिए यह मेला एक रोजगार का अवसर है, जो पार्किंग, मार्गदर्शन, सुरक्षा आदि की जिम्मेदारी संभालते हैं. कुरनिया माता का यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक विश्वास का स्थान है और यहां होने वाली पूजा-अर्चना, मेले और वाहनों के पूजन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है. यह स्थल धार्मिक आस्था के साथ-साथ रोजगार का भी साधन बन गया है. Tags: Bihar News , Dharma Aastha , East champaran , Local18 रीवा रेडक्रॉस में इस बार बुजुर्गों ने उप मुख्य मंत्री संग जलाये दिये और फोड़े पटाखे, देखें फोटोज झील के बीच में खड़ा है राजस्थान का ये मंदिर, जहां से शाहजहां को मिली थी ताजमहल बनवाने की प्रेरणा गजब! ये है Eco-Friendly बस स्टैंड, प्लास्टिक की बोतल से बना दिया शेल्टर Tourism: पुष्कर जाने पर जरूर गुजारें यहां रात, देखने को मिलेगा बेहतरीन नजारा पिछली 10 पारी में रोहित और विराट ने मिलकर नहीं बनाए जितने रन, केएल राहुल ने अकेले किया उससे ज्यादा स्कोर, आंकड़े हैरान कर देंगे 220 करोड़ी SUPERHIT फिल्म, सिनेमाघरों में गूंजा था हीरो का ताबड़तोड़ एक्शन, 10 साल बाद भी OTT पर मचा रही धमाल 99 दिनों में तैयार हुई फिल्म, मिस्ट्री थ्रिलर ऐसा छूट जाएगा पसीना, हर 'मंगलवार' होता है मौत का तांडव Onion Farming: किसान प्याज की इस नस्ल की करें खेती, मात्र 100 दिनों में हो जाएगी तैयार; लागत का 75% पैसा देगी सरकार हैदराबाद में यहां मिलती है गजब की चाय, एक बार पी लिया तो भूल नहीं पाएंगे स्वाद None
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