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US Election 2024: न्यूयॉर्क के बैलेट में हिंदी क्यों नहीं, बंगाली क्यों? जानिए इसके पीछे की वजह

US President Election 2024: जैसे ही अमेरिकन्स अपना अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए 5 नवम्बर के इलेक्शन डे का इंतजार कर रहे थे, वैसे ही न्यूयॉर्क के बैलट पेपर भी एक अनोखे कारण से सबका ध्यान खींचा. बता दें कि न्यूयॉर्क इस बार अपने 2024 के प्रेसिडेंशियल बैलट में बंगाली भाषा को शामिल कर रहा है. यह कदम कई लोगों के लिए चौंकाने वाला है, क्योंकि आमतौर पर हिंदी भी भारतीय समुदाय में व्यापक रूप (Widely used) से बोली जाती है. तो फिर बंगाली ही क्यों? चलिए, इसके पीछे के कारण समझते हैं… बैलट में बंगाली भाषा का महत्व बता दें कि न्यू यॉर्क सिटी में प्रवासियों की एक बड़ी संख्या रहती है, जिनमें से 66% लोग अंग्रेजी को अपनी पहली भाषा के रूप में नहीं बोलते. इनमें से एक महत्वपूर्ण हिस्सा एशियाई अमेरिकियों का है, जो भाषा की कठिनाइयों का सामना करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए, न्यू यॉर्क सिटी बोर्ड ऑफ इलेक्शन के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, माइकल जे. रयान ने यह निर्णय लिया कि चीनी, स्पेनिश, कोरियन और बंगाली जैसी भाषाओं को बैलट में शामिल किया जाए ताकि वोटिंग अधिक से अधिक लोगों के लिए आसान हो सके. रयान ने कहा, “एशियाई भाषाओं को शामिल करके हम अपना यह कर्तव्य पूरा कर रहे हैं कि हर वोटर को वोटिंग प्रोसेस समझने में आसानी हो.” दिलचस्प बात यह है कि एशियन अमेरिकन फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार, न्यू यॉर्क में बंगाली दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली एशियाई भाषा है, जिसे 12.2% एशियाई न्यू यॉर्कर्स बोलते हैं. जिसमें भारत और बांग्लादेश दोनों के निवासी शामिल हैं. इसके विपरीत, हिंदी छठे स्थान पर है और इसे 3.3% लोग बोलते हैं. इस लोकप्रियता के कारण ही बंगाली को चुना गया ताकि समुदाय के एक बड़े हिस्से के लिए वोटिंग को आसान बनाया जा सके. जानिए क्यों लिया गया फैसला न्यू यॉर्क के बैलट में बंगाली भाषा का शामिल होना केवल एक सौहार्दपूर्ण कदम (amicable step) नहीं है, बल्कि इसके पीछे कानूनी आवश्यकता (legal requirement) भी है. 2010 के दशक की शुरुआत में, भाषा पहुंच को लेकर एक मुकदमे के बाद यह निर्णय लिया गया कि न्यू यॉर्क को कम से कम एक दक्षिण एशियाई भाषा में वोटिंग सहायता प्रदान करनी होगी. इस निर्णय में बातचीत के बाद बंगाली को चुना गया क्योंकि इसके बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक थी. तब से लेकर अब तक, 2013 में क्वींस में पहली बार बंगाली में बैलट उपलब्ध कराया गया था. यह फैसला 1965 के वोटिंग राइट्स एक्ट के अनुरूप है, जो इस बात का प्रावधान करता है कि अल्पसंख्यक समूहों को चुनाव प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए भाषा सहायता प्रदान की जाए. इस कानून के तहत, न्यू यॉर्क को केवल बैलट ही नहीं बल्कि अन्य आवश्यक वोटिंग सामग्रियां (Required voting materials) भी बंगाली में उपलब्ध करानी पड़ती हैं, जिससे बंगाली बोलने वाले निवासी चुनाव में भाषा की बाधाओं के बिना भाग ले सकें. US Election:भारत के उस छोटे से गांव की कहानी जो अमेरिकी चुनाव में कमला हैरिस की जीत के लिए मांग रहा दुआएं बंगाली बैलट्स पर समुदाय की प्रतिक्रिया न्यू यॉर्क में बंगाली-भाषी समुदाय ने इस कदम का गर्मजोशी से स्वागत किया है. टाइम्स स्क्वायर में कार्यरत एक बंगाली मूल के सेल्स एजेंट सुभशेष ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “क्वींस में मेरे पिताजी के लिए वोट डालना आसान हो जाएगा. हमारे समुदाय के कई बुजुर्ग अपनी मातृभाषा में अधिक सहज महसूस करते हैं. बंगाली बैलट उनकी काफी मदद करेगा.” फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष, डॉ. अविनाश गुप्ता ने भी इसे भारतीय समुदाय के लिए एक सकारात्मक कदम माना है. उन्होंने कहा, “यह अधिक भारतीयों को वोट डालने और अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करेगा. समुदाय की राजनीतिक भागीदारी बढ़ रही है, और यह कदम उन्हें समर्थन देता है.” Tags: Local18 , Special Project IPS का छठ, केरल में जन्मी... झारखंड में पोस्टिंग, बेहद रोचक है महिला SP के व्रत शुरू करने की कहानी क्या आप जानते हैं दुनिया में ऐसे कितने देश हैं, जहां कोई भारतीय नहीं है? बहुत लोगों को नहीं होगा पता! सूखे और आवारा जानवरों से हैं परेशान? करें इस औषधीय पौधे की खेती! बन जाएंगे लखपति Chhath Pooja: छठ पूजा पर इस मंदिर में होता है विशेष यज्ञ का आयोजन, पूजा में आने वाले श्रद्धालुओं की हर मन्नत होती है पूरी Garlic Benefits: ड्राई फ्रूट से महंगा ये पहाड़ी लहसुन, कई गुणों से है भरा; 3 साल में होता तैयार Alsi Seeds Benefits: प्रोटीन से भरा है ये बीज, हार्ट को बनाए हेल्दी; दर्द व सूजन को करे दूर बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी से खत्म हुआ 6 भारतीय खिलाड़ियों का टेस्ट करियर, विराट और रोहित पर मंडराए खतरे के बादल इस खेती में छुपा है लाखों का खजाना! औषधीय किस्मों से बदल सकती किसानों की किस्मत, ये है तरीका 11 साल के अर्जुन ने KBC जूनियर में दिखाया दम, मिनटों में बन गए लखपति, जीतने के बाद अमिताभ बच्चन ने कहा.. None

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