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बिहार की सियासत में ट्रेंड सेटर बन रहे प्रशांत किशोर! महज एक दांव से कैसे बढ़ा दी तेजस्वी यादव की टेंशन?

पटना: बिहार में नई नवेली पार्टी जन सुराज ने विधानसभा की तरारी सीट से सेना के रिटायर्ड जेनरल एसके सिंह को उम्मीदवार बना कर दमदार और धमाकेदार आगाज किया है. पहली बार जन सुराज ने चुनावी राजनीति में कदम रखा है. एसके सिंह उसके पहले उम्मीदवार हैं. प्रशांत किशोर का शुरू से इस बात पर जोर रहा है कि राजनीति में अच्छे, पढ़े-लिखे और बेदाग लोग आएं. सेना के बड़े अफसर की बेदाग छवि के कारण एसके सिंह जन सुराज की कसौटी पर सौ फीसद खरे उतरते हैं. बिहार से राजनीति में अब तक सेना के दो बड़े अफसर आए हैं. इससे पहले जेनरल एसके सिन्हा ने राजनीति में कदम रखा था. वे संसदीय राजनीति में कामयाब तो नहीं रहे, लेकिन बाद में वे जम्मू-कश्मीर और असम के राज्यपाल बने. अब जेनरल एसके सिंह का राजनीति में प्रवेश हो रहा है. PK की पोलिटिक्स में कास्ट इक्वेशन का भी ख्याल प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज की मूल अवधारणा जाति विहीन राजनीति की है. अब तक का अनुभव यही है कि बिहार में राजनीति जाति के बिना संभव ही नहीं है. सीएम नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण के आंकड़े सार्वजनिक कर हर जाति के लोगों की आंखें खोल दी हैं. सबको अपनी संख्या पता है और उस हिसाब से वे हिस्सेदारी भी चाहने लगे हैं. यही वजह है कि बिहार में जाति की पहले से हो रही राजनीति अब परवान चढ़ने लगी है. लालू यादव की पार्टी आरजेडी से मुसलमानों की नाराजगी लोकसभा चुनाव के दौरान इसीलिए दिखी कि उन्होंने 17 फीसद आबादी वाले सिर्फ दो मुसलमानों को टिकट दिया था. अशफाक करीम और भूतपूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब जैसे कई मुसलमान नेताओं ने आरजेडी का साथ छोड़ दिया था. प्रशांत किशोर ने मुसलमानों की आबादी का ख्याल कर ही विधानसभा चुनाव में 75 मुस्लिम उतारने का फैसला किया है. वादे के मुताबिक, प्रशांत ने दलित को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया. इसी तरह तरारी में उन्होंने सवर्ण वोटों को ध्यान में रख कर एसके सिंह को उम्मीदवार बनाया है. जातीय समीकरण बना कर परिवारवाद की सियासत अभी तक बिहार की सियासत में दो-तीन जातियों का ही वर्चस्व रहा है. आरजेडी जैसी पार्टी तो जातीय जमात के वोट लेकर सिर्फ परिवार की प्रगति के लिए ही प्रयत्नशील रही है. आरजेडी में जिस तरह लालू यादव के परिवार को बढ़ावा मिला, उतना मौका 17 फीसद आबादी वाले मुसलमानों को नहीं मिला. लालू यादव का मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण ही आरजेडी की ताकत रहा है. हां, लंबे समय तक सीएम रहने के बावजूद नीतीश कुमार जरूर इसके अपवाद हैं. जाति की राजनीति से नीतीश कुमार भी अछूते नहीं हालांकि नीतीश परिवारवादी राजनीति से भले ही परे रहे हों, लेकिन जाति की राजनीति में उनका कोई सानी नहीं. उन्होंने जेडीयू में अव्वल तो अब तक दूसरे नंबर के नेता के रूप में किसी को मुकम्मल बनाया ही नहीं, लेकिन जब-जब मौका मिला, अपनी जाति का ख्याल जरूर रखा. उन्होंने न सिर्फ अपनी जाति प्रेम का आभास कराया ह, बल्कि उनका क्षेत्र प्रेम भी गजब का रहा है. अपने गृह जिले नालंदा से स्वजातीय आरसीपी सिंह को उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष बना कर पार्टी में दूसरे नंबर के ओहदे पर रखा. इसी तरह अब मनीष वर्मा को राष्ट्रीय महासचिव बना कर उन्होंने जेडीयू की जिम्मेवारी सौंप दी है. लव-कुश समीकरण बना कर ही आगे बढ़ गए नीतीश नीतीश कुमार का इलाकाई और जाति प्रेम समय-समय पर उमड़ पड़ता है. हो भी क्यों नहीं. वर्ष 1994 में लव-कुश जमात के पहले सम्मेलन में जाने पर ही तो उनकी पोलिटिक्स परवान चढ़ी. इसलिए उनका स्वजातीय प्रेम रह-रह कर उफान मारता है. स्थानीयता की भावना भी उनमें गजब की है. अपने गृह जिले के स्वजातीय आरसीपी सिंह को उन्होंने जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. उन्हें इतनी तवज्जो पार्टी में मिली कि वे राज्यसभा के रास्ते पटना के बजाय दिल्ली पहुंच गए. केंद्र में नीतीश की मर्जी के खिलाफ मंत्री भी बन गए. मंत्री बने रहने के लिए उन्होंने अपने आका को ही धोखा दे दिया. अब नीतीश ने अपने स्वजातीय और गृह जिले के वासी मनीष वर्मा को राष्ट्रीय महासचिव बना कर आरसीपी सिंह जैसा ही भरोसा किया है. वर्मा अपने नेता के भरोसे पर कितने खरे उतरेंगे, यह समय के गर्भ में है. बिहार की राजनीति में ट्रेंड सेटर बन रहे हैं प्रशांत प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में ट्रेंड सेटर की भूमिका में दिख रहे हैं. उन्होंने जाति विहीन राजनीति की बात की तो उस पर कायम रहे. दूसरे सियासी दलों की तरह उन्होंने जातियों के वोट से अपने हित नहीं साधे. उन्होंने जातियों की आबादी के हिसाब से सबकी भागीदारी सुनिश्चित कर दी है. कार्यकारी अध्यक्ष दलित वर्ग से बनाया. पहला उम्मीदवार सवर्ण एसके सिंह को बनाया. बिहार में चार सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए तीन और उम्मीदवारों के भी अच्छे होने का वे संकेत दे रहे हैं. बेदाग छवि वाले एसके सिंह जैसी बड़ी हस्ती को अपना उम्मीदवार बना कर उन्होंने दूसरे दलों के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है. यह संदेश भी दे दिया है कि बिहार में अच्छे उम्मीदवार भी मिल सकते हैं. जरूरत सिर्फ ऐसे उम्मीदवारों की खोज की है. उपचुनाव के नतीजे जैसे आएं, पर संदेश बड़ा होगा बिहार में जिन चार सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें तीन सीटें आरजेडी के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लाक के खाते में रही हैं. प्रशांत किशोर ने चारों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है. तरारी सीट पर तो जेनरल एसके सिंह के नाम की घोषणा भी कर दी है. प्रशांत की पार्टी के उम्मीदवार भले कामयाब न हों, लेकिन बेहतर उम्मीदवारों के चयन से वे यह संदेश देने में कामयाब रहे हैं कि जैसा कहते आए हैं, वैसा ही करेंगे. अगर प्रशांत के उम्मीदवारों को अच्छा खासा वोट भी मिल जाए तो उनके लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी. नीतीश के लिए 2020 के चिराग हैं प्रशांत किशोर लोजपा (आर) के प्रमुख चिराग पासवान ने 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होकर किस्मत आजमाई थी. कामयाबी तो नहीं मिली, लेकिन नीतीश कुमार को ढाई दर्जन से अधिक सीटों पर उन्होंने नुकसान जरूर पहुंचा दिया. राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर को भी 2020 वाले चिराग के रूप में देख रहे हैं. फर्क इतना ही है कि चिराग ने भाजपा को तब बख्श दिया था, लेकिन प्रशांत उसका भी खेल बिगाड़ने पर आमादा हैं. आरजेडी के तेजस्वी यादव तो शुरू से ही उनके निशाने पर रहे हैं. आरजेडी के आधार वोट को तोड़ने के लिए ही प्रशांत ने 75 मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है. इसका पहला असर आरजेडी पर यह हुआ है कि वह भी अब 41 सीटें मुसलमानों को देने की रणनीति बना रहा है. Tags: Bihar News , PATNA NEWS , Prashant Kishor , Tejashwi Yadav मुस्कान देख जिस मां ने दिया नाम, उसी ने कहा 'घर तोड़ने वाली', सड़क पर गिरी तस्वीर ने बदली एक्ट्रेस की तकदीर महाकाल की भस्म आरती: मस्तक पर वैष्णव तिलक, मोर पंख का मुकुट और आभूषणों से सजे बाबा, देखें अद्भुत तस्वीरें शादी के 12 साल बाद मां बनेंगी राधिका आप्टे, बेबी बंप फ्लांट कर दिया बड़ा सरप्राइज, वेडिंग को भी रखा था सीक्रेट माधुरी दीक्षित संग बड़े पर्दे पर किया रोमांस, बॉक्स ऑफिस पर BLOCKBUSTER हुई फिल्म, रातोंरात चमक उठी थी किस्मत पिता से बगावत कर बनीं एक्ट्रेस, राज कपूर की फिल्म से मिली पहचान, रोमांटिक सीन में देखते ही फिदा हो गए थे शशि कपूर 10 richest cricketer: अजय जडेजा से लेकर विराट कोहली तक... कौन है दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट खिलाड़ी, पहले वाले की नेटवर्थ जानकर रह जाएंगे दंग भारत के टॉप स्कूलों में शामिल हुए दिल्ली-NCR के ये स्कूल, देखिए लिस्ट मुंगेर में बना है पेड़ पर घर, नाना पाटेकर और अनिल कपूर ने फरमाया था सीन, काफी संख्या में देखने आते हैं लोग धौलपुर के गांव में महिलाएं और पुरुष ले रहे हैं ओपन जिम का आनंद, बच्चों के लिए भी है खास इंतजाम None

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