बक्सर:- लोकसभा क्षेत्र के रामगढ़ सीट पर विधानसभा उपचुनाव जातीय समीकरण में उलझकर नाक की लड़ाई बन गई है, वो इसलिए कि इस सीट पर राजद के बिहार ‘मुखिया’ यानी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लग चुकी है. राजद और रामगढ़ विधानसभा को लेकर जगदानंद सिंह का नाम कई कारणों से जुड़ गया है. इस बार तो यह चुनाव राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह से इसलिए भी जुड़ गया है कि पुराने संबंधों का ख्याल कर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक तरह से वीटो लगाकर यह सीट उनके पुत्र अजीत सिंह के नाम कर दी. इसको लेकर लोकल 18 की टीम ने बक्सर के वरिष्ठ पत्रकारों से विशेष बातचीत की और यह जानने की कोशिश की कि रामगढ़ उपचुनाव में वर्तमान में किस पार्टी के प्रत्याशी की क्षेत्र में हवा है. रामगढ़ मतलब जगदानंद सिंह बक्सर के वरिष्ठ पत्रकार शशांक शेखर ने बातचीत में बताया कि रामगढ़ ही वो सीट है, जहां से जगदानंद सिंह पहली बार जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद उनका और रामगढ़ सीट का नाता ही बन गया. धीरे-धीरे रामगढ़ विधानसभा सीट का मतलब ही जगदानंद सिंह हो गया. इसकी वजह थी 1985 से लेकर 2005 तक लगातार जीत का परचम लहराना. इस बीच जगदानंद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी नेताओं में शुमार किए जाने लगे. नंबर टू में गिनती होने लगी, जल संसाधन मंत्री के रूप में काफी ख्याति भी मिली. पिता ने अपने ही पुत्र को हरवाया उन्होंने आगे बताया कि यह मामला 2010 विधानसभा चुनाव का है. जगदानंद सिंह के बक्सर से सांसद बनने के बाद जब राजद ने उनके पुत्र सुधाकर सिंह को विरासत सौंपनी चाही, तो खुद जगदानंद सिंह ने ही इस प्रस्ताव का विरोध कर दिया. मगर जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह को यह बात रास नहीं लगी, तो पिता का विरोध कर वे स्वयं रामगढ़ विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हो गए. भाजपा ने इस स्थिति को भुनाने की कोशिश की और निर्दलीय उम्मीदवार सुधाकर सिंह को भाजपा ने अपना समर्थन देकर अपना उम्मीदवार बना डाला. इस बगावत पर उतरे पुत्र सुधाकर सिंह को पिता जगदानंद का साथ नहीं मिला. जगदानंद सिंह ने अपनी पार्टी के उम्मीदवार अंबिका यादव का प्रचार किया. परिणाम यह हुआ कि तब रामगढ़ में राजद उम्मीदवार की जीत हुई और भाजपा समर्थित उम्मीदवार सुधाकर सिंह की हार हुई. चुनावी संघर्ष में फंसे अजीत सिंह बक्सर के एक और वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकांत निराला ने Local 18 से बातचीत में बताया कि इस दफे यानी 2024 में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में तो मामला और भी गजब का हो गया है. राजद के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र अजीत सिंह की जीत केवल पिता की नहीं, बल्कि राजद अध्यक्ष की पद की भी प्रतिष्ठा बन चुकी है. राजद उम्मीदवार अजीत सिंह का हाल बेहाल है. दरअसल, इस बार राजद उम्मीदवार अजीत सिंह चुनावी संघर्ष में फंस गए हैं. भाजपा की तरफ से स्वजातीय पूर्व विधायक अशोक सिंह, बहुजन समाज पार्टी से पूर्व विधायक अंबिका यादव के भतीजे पिंटू यादव उन्हें चुनौती दे रहे थे, लेकिन प्रशांत किशोर ने अपनी जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार सुशील सिंह कुशवाहा को मैदान में उतार दिया. जातीय समीकरण में उलझा प्रत्याशी उन्होंने आगे बताया कि जातिगत समीकरण की नजरों से देखें, तो रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आबादी के हिसाब से नंबर वन राजपूत जाति है. इनकी संख्या करीब कुल वोटों का 21% है. दूसरे नंबर पर मुस्लिम मतदाता हैं, ये कुल मतों में 8.5% हिस्सेदारी रखते हैं. वहीं, 6.8 फीसदी के साथ तीसरे नंबर पर यादव वोटर हैं. राजद उम्मीदवार अजीत सिंह और भाजपा उम्मीदवार अशोक सिंह की दावेदारी राजपूत वोटों पर है. ये भी पढ़ें:- झोलाछाप डॉक्टर का घिनौना कारनामा! यूट्यूब देख गर्भवती महिला का किया ऑपरेशन, मरीज को मरता छोड़ हुआ फरार एम वाई समीकरण में सेंध मारी बता दें कि राजद प्रदेश अध्यक्ष के लिए परेशानी तो तीनों उम्मीदवार हैं. तीनों ही उनके बेटे और उनकी सीट पर जमा-जमाया खेल बिगाड़ने की हैसियत रखते हैं. बसपा के उम्मीदवार पिंटू यादव और जन सुराज के उम्मीदवार सुशील सिंह कुशवाहा दोनों ही एम वाई समीकरण में सेंधमारी कर सकते हैं. खासकर दूसरे नंबर पर यादव जाति और उसके उम्मीदवार पिंटू यादव से खतरा है. राजद यहां एम वाई समीकरण को दुरुस्त करने में लगा है. इस समीकरण का बिखराव राजद उम्मीदवार को नुकसान पहुंचा सकता है. भाजपा उम्मीदवार अशोक सिंह की भी दिक्कत यह है कि एनडीए के फोल्ड में रह रहे कुशवाहा वोट की घेराबंदी जन सुराज के उम्मीदवार सुशील सिंह कुशवाहा कर रहे हैं. विश्लेषकों की मानें, तो जो प्रमुख दल अपने आधार वोट पर कुंडली जमा लेगा, जीत उसी के दरवाजे पर दस्तक देगी. Tags: Buxar news , By election , Ground Report , Local18 रीवा रेडक्रॉस में इस बार बुजुर्गों ने उप मुख्य मंत्री संग जलाये दिये और फोड़े पटाखे, देखें फोटोज झील के बीच में खड़ा है राजस्थान का ये मंदिर, जहां से शाहजहां को मिली थी ताजमहल बनवाने की प्रेरणा गजब! ये है Eco-Friendly बस स्टैंड, प्लास्टिक की बोतल से बना दिया शेल्टर Tourism: पुष्कर जाने पर जरूर गुजारें यहां रात, देखने को मिलेगा बेहतरीन नजारा पिछली 10 पारी में रोहित और विराट ने मिलकर नहीं बनाए जितने रन, केएल राहुल ने अकेले किया उससे ज्यादा स्कोर, आंकड़े हैरान कर देंगे 220 करोड़ी SUPERHIT फिल्म, सिनेमाघरों में गूंजा था हीरो का ताबड़तोड़ एक्शन, 10 साल बाद भी OTT पर मचा रही धमाल 99 दिनों में तैयार हुई फिल्म, मिस्ट्री थ्रिलर ऐसा छूट जाएगा पसीना, हर 'मंगलवार' होता है मौत का तांडव Onion Farming: किसान प्याज की इस नस्ल की करें खेती, मात्र 100 दिनों में हो जाएगी तैयार; लागत का 75% पैसा देगी सरकार हैदराबाद में यहां मिलती है गजब की चाय, एक बार पी लिया तो भूल नहीं पाएंगे स्वाद None
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