NEWS

DAP खाद की किल्लत में चीन का हाथ, भारत के उत्पादक नहीं ले रहे दिलचस्पी, यही हाल रहा तो...

नई दिल्ली. देशभर में डीएपी खाद की किल्लत की खबरें आ रही हैं. डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) जैसी खादों की कमी से रबी फसलों की पैदावार और किसानों की आय पर बड़ा असर पड़ सकता है. खाद की कमी ने किसानों को बेबस कर दिया है. इतना बेबस कि कुछ जगहों से किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने तक के समाचार सामने आ रहे हैं. गुना (मध्य प्रदेश) में लगभग 3 सप्ताह पहले एक किसान ने जगह निगल कर सुसाइड कर लिया. उकलाना (हरियाणा) में भी एक किसान ने डीएपी खाद नहीं मिलने की वजह से जहर खा लिया. खाद की कमी से चलते विरोध-प्रदर्शन तो आम ही हो गए हैं. सरकार की तरफ से हालांकि, खाद की पूरी सप्लाई की बातें लगातार दोहराई जा रही हैं. परंतु, क्या आप जानते हैं, खाद की कमी की असली वजह क्या है? चलिए इस पर विस्तार से नजर डालते हैं. द मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य तौर पर दो वजहों से डीएपी की किल्लत हुई है. पहली वजह है चीन से होने वाले आयात का कम होना, और दूसरी खुद भारत में इसका उत्पादन कम होना बताया गया है. चीन ने अपनी घरेलू मांग बढ़ने के कारण खाद और कच्चे माल की सप्लाई को कम किया है. पहले भारत को चीन से 20 लाख टन खाद मिलती थी, जो अब घटकर मात्र 5 लाख टन रह गई है. यह कमी वैश्विक मांग और सप्लाई चैन में रुकावट के कारण और बढ़ गई है. वीडियो में – डीएपी की जगह इस्तेमाल करें एनपीके, बढ़ जाएगी उत्पादन क्षमता, एक्सपर्ट से जानें सबकुछ गेहूं, दाल और सरसों जैसी रबी फसलों के लिए अहम डीएपी खाद के उत्पादन में अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच 7.3 फीसदी की गिरावट आई, जबकि आयात 30 फीसदी तक कम हुआ. जहां डीएपी और यूरिया के उत्पादन और आयात में गिरावट दर्ज की गई, वहीं एनपी/एनपीके (10.9 फीसदी) और एसएसपी (7.5 फीसदी) के उत्पादन में वृद्धि हुई. किसानों और अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर खाद न मिलने से फसल उत्पादन में कमी आएगी, जिससे गेहूं, दाल और आलू जैसे फसलों की पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है. कृषि, जो भारत की सबसे बड़ी रोजगार देने वाली इंडस्ट्री है, में ऐसी गिरावट से ग्रामीण आय और अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारत सरकार ने खाद की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सब्सिडी दी है. डीएपी पर 21,911 रुपये प्रति टन की सब्सिडी और 27,000 रुपये प्रति टन की अधिकतम खुदरा कीमत तय की गई है. हालांकि, कच्चे माल की बढ़ती लागत के कारण मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां इस कीमत पर खाद उपलब्ध कराने में असमर्थता जता रही हैं. वीडियो में – डीएपी को लेकर हैं परेशानी तो इस खाद का करें प्रयोग, बढ़ जाएगी उत्पादन क्षमता, एक्सपर्ट से जानें छिड़काव की मात्रा साथ ही, सरकार खाद आपूर्ति के लिए रूस और मोरक्को जैसे देशों से समझौतों की कोशिश कर रही है. इसके अलावा, पीएम मोदी ने ब्राजील G20 समिट में खाद संकट का मुद्दा उठाया और कई देशों पर इसके संभावित असर के बारे में बात की. क्या हो सकता है समाधान? रबी फसलों की बुवाई 42.88 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी है, जो पिछले साल से 4.12 फीसदी अधिक है. फसल के बढ़ते रकबे को देखते हुए 2025 तक 45 मिलियन टन खाद की आवश्यकता होगी. इसके लिए लॉन्ग टर्म इम्पोर्ट समझौतों और लोकल उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. Tags: Fertilizer crisis , Fertilizer Shortage , Indian economy , Rural economy इन छोटे दानों में कई बीमारियों का इलाज! हड्डियों को मजबूत बनाएं और बालों झड़ने से बचाएं पुष्पा 2 की टिकट के साथ खरीद लें ये शेयर, अल्लू अर्जुन के साथ-साथ आपकी कमाई भी पक्की, जानिए कितना फायदा होगा Pushpa 2 First Review: लो जी.. आ गया 'पुष्पा 2' का पहला रिव्यू, जानिए कैसी है 'पुष्पाराज' की ये फिल्म पूजा-पाठ ही नहीं, आंगन में लगा ये पौधा औषधीय गुणों का भी है भंडार, एक नहीं अनेक बीमारियों का है काल Famous Peda of Aurangabad: 42 वर्षों से पेड़ा के स्वाद का क्रेज बरकरार, 200 क्विंटल दूध की रोजाना है खपत मेहनत कम...कमाई ज्यादा, ग्रेजुएट किसान ने शुरू की इस फल की खेती, कुछ ही दिनों में बदली तकदीर Pea Crop: मटर की बुवाई से पहले बीज का उपचार बेहद जरूरी, इस दवा का करें इस्तेमाल सावधान! आज ही जान लें झाड़ू से जुड़ी ये खास बातें, नहीं तो बिगड़ सकती है आपकी आर्थिक स्थिति पहाड़ों में इन औषधीय पौधों की जा सकेगी खेती, किसानों के परिवार को मिलेगा रोजगार None

About Us

Get our latest news in multiple languages with just one click. We are using highly optimized algorithms to bring you hoax-free news from various sources in India.